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गुरुहसहाय से कांग्रेस को नहीं मिल रहा सशक्त उम्मीदवार

15 बार हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने गुरुहरसहाय से नौ बार जीत दर्ज की है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 19 Jan 2022 10:26 PM (IST)Updated: Wed, 19 Jan 2022 10:26 PM (IST)
गुरुहसहाय से कांग्रेस को नहीं मिल रहा सशक्त उम्मीदवार
गुरुहसहाय से कांग्रेस को नहीं मिल रहा सशक्त उम्मीदवार

संजय वर्मा. गुरुहरसहाय (फिरोजपुर) : 15 बार हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने गुरुहरसहाय से नौ बार जीत दर्ज की है। चार बार लगातार जीत दर्ज करने वाले राणा गुरमीत सिंह सोढी के भाजपा में जाने के बाद इस सीट पर कांग्रेस को मजबूत उम्मीदवार नहीं मिल रहा। कांग्रेस का गढ़ मानी जाती गुरुहरसहाय विधानसभा सीट पर आला नेताओं की आपसी तकरार के कारण उम्मीदवार ढूंढने में मशक्कत का सामना करना पड़ रहा है। हालात ये हैं कि स्थानीय बड़ा नेता न मिलने की वजह से पार्टी यहां पर पैराशूट से उम्मीदवार उतारना चाहती है।

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वर्ष 2002 से लगातार विधायक रहे राणा सोढ़ी के भाजपा में शामिल होने के बाद मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी जलालाबाद के विधायक रमिदर आंवला पर यहां पर दांव खेलना चाहते थे। आवला स्थानीय निवासी है और यहां की जनता पर उनकी अच्छी पकड़ है, लेकिन पार्टी प्रधान आवला को जलालाबाद में सुखबीर के सामने उतारना चाहते हैं। इसी कश्मकश में पहली सूची में आंवला का नाम नही आ पाया और आवला समर्थक में मायूसी छाई हुई है। विधानसभा हलका गुरुहरसहाय से 1952 के विधानसभा चुनाव में निर्दलीय उम्मीदवार प्रताप सिंह कांग्रेस के हर किशन लाल से 580 वोट से जीते थे, जबकि 1957 में कांग्रेस के बख्तावर सिंह निर्दलीय उम्मीदवार दौलत राम से 3207 वोट से विजय रहे थे। वहीं 1962 में कांग्रेस के बख्तावर सिंह निर्दलीय जसवंत सिंह से 1585 वोट से हारे। हार के बाद बख्तावर सिंह 1967 में निर्दलीय चुनाव मैदान में उतरे तो उन्होने कांग्रेस के दौलत राम को 1172 वोट से पराजित किया। इसके बाद 1969, 1972, 1977 के चुनाव में कांग्रेस के लक्षमण सिंह ने लगातार तीन बार निर्दलीय उम्मीदवारों को पराजित किया। 1980 में खुशहाल चंद ने भाजपा से जीत दर्ज की। उन्होंने कांग्रेस के लक्षमण सिंह को 1441 वोट से हराया था। 1985 में निर्दलीय सजावर सिंह ने निर्दलीय गुरू हरसहाय सिंह को 3171 वोट से हराया। विधानसभा चुनाव 1992 कांग्रेस के उम्मीदवार बने और निर्दलीय इकबाल सिंह को 320 वोट से हराया था। 1997 में शिरोमणि अकाली दल के परमजीत सिंह ने कांग्रेस के सजावर सिंह को 8608 वोट से हराया। 2002 के विधानसभा चुनावों में राणा गुरमीत सिंह सोढी कांग्रेस के उम्मीदवार बने और अकाली दल के परमजीत सिंह को 5431 वोट से हराया। इसके बाद राणा सोढी लगातार विजय रहे। 2007 में अकाली दल के परमीज सिंह 18570 वोट, 2012 में अकाली उम्मीदवार वरदेव सिंह नोनी मान 3249 और फिर 2017 में वरदेव नोनी मान 5796 वोट से राणा सोढी से पराजित हुए। गुरुहरसहाय के इतिहास में राणा गुरमीत सिंह सोढ़ी पहले ऐसे विधायक है, जो दो बार विधायक और दो बार कैबिनेट मंत्री रहे है।


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