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कैंटोनमेंट बोर्ड एक्ट मे संशोधन की मांग कर रहे छावनी के लोग

सुखबीर सिंह बादल ने अभी तक एक्ट संशोधन को लेकर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 12 Jun 2020 03:45 PM (IST)Updated: Fri, 12 Jun 2020 03:45 PM (IST)
कैंटोनमेंट बोर्ड एक्ट मे संशोधन की मांग कर रहे छावनी के लोग
कैंटोनमेंट बोर्ड एक्ट मे संशोधन की मांग कर रहे छावनी के लोग

तरूण जैन, फिरोजपुर : छावनी के लोगों से कैंटोनमेंट एक्ट में संशोधन करवाने का वादा कर जीते सुखबीर सिंह बादल ने अभी तक एक्ट संशोधन को लेकर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है, जबकि लोगों द्वारा अपने स्तर पर ही मंत्रालय में पत्र व सुझाव भेजे जा रहे है। लोगों का कहना है कि क्या सुखबीर उनका साथ देंगे या फिर अन्य नेताओं की तरह चुप्पी साध जाएंगे।

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बेशक पिछले साल जुलाई में पूर्व विधायक जोगिंद्र सिंह जिंदू, पूर्व उपाध्यक्ष सुरिंद्र सिंह बब्बू व शिष्टमंडल सुखबीर के साथ राजनाथ सिंह से मिले थे और तब एक ज्ञापन भी सौंपा था, लेकिन अभी तक छावनी के लोगों की किसी ने पुकार नहीं सुनी है। क्षेत्र की विभिन्न समाजसेवी संस्थाओं द्वारा अपने स्तर पर छावनी वेलफेयर कमेटी का गठन किया गया है, जिसमें अब तक करीब एक हजार से ज्यादा लोगों से ई-मेल के माध्यम से सुझाव भी रक्षा मंत्रालय को भेजे जा चुके है।

एडवोकेट योगेश गुप्ता, चार्टड अकाउंटेंट एसके छिब्बर, कुलभूषण शर्मा, एडवोकेट रोहित गर्ग, हरीश गोयल, नंद किशोर गुगन, राकेश अग्रवाल बबली, बाल कृष्ण मित्तल, नवीन, रूप नारायण सिगला, प्रवीण जैन, पिटू कालड़ा ने कहा कि आजादी के सात दशक बाद भी यहां पर 1836 के ब्रिटिश सम्राज्य के कानून चल रहे है और यहां के लोगों को अनेक दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार को चाहिए कि छावनी के लोगों की समस्या को प्रमुख रखते हुए एक्ट में संशोधन करने चाहिए।

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अनेकों नेता आएं और वादे कर चले गए क्षेत्र के लोगों के साथ हरेक पार्टी के नेताओं ने दावे किए है। 2011 में राज्यसभा सदस्य अविनाश राय खन्ना तो 2015 में केंद्रीय मंत्री विजय सांपला ने कहा था कि लोग वोट दें तो वह नियमों में संशोधन करवाएंगे। हर बार चुनाव में भाजपा कैंटोनमेंट समस्याओं को मुद्दा बनाती है, लेकिन अब केंद्र में सरकार होने के बावजूद भी लोगों को दर-दर भटकना पड़ रहा है।

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पूर्व पार्षद ने मंत्रालय को भेजी अपनी राय पूर्व पार्षद रवि सोई ने कहा उन्होंने सुझाव दिया है कि बोर्ड के सीईओ को मेंबर सेक्रेटरी का दर्जा नहीं दिया जाना चाहिए और मात्र बोर्ड का सचिव ही रहने देना चाहिए। क्षेत्र की प्रॉपर्टी को अपने नाम करवाने के लिए प्रोसेस को सरल बनाना चाहिए। सब-डिविजन प्रकिया को सरल करते हुए स्थानीय बोर्ड को ही अधिकार दिए जाने चाहिए। रिप्रेजेंटेशन ऑफ नागरिकता कानून 1950 एक्ट के तहत ही छावनी परिषद की वोट बननी चाहिए। छावनी में बढ़ती सिविल आबादी को देखते हुए सरकार को कैंटोनमेंट सिविल एरिया बढ़ाने पर भी जोर देना चाहिए और जिन बंगलों में सिविलियन रह रहे है, उस क्षेत्र को सिविल एरिया से अटैच कर देना चाहिए। कंस्ट्रक्शन कर रहे लोगों के घरों को सील करने की पॉवर सीईओ से वापस लेकर सिविल एरिया कमेटी को मर्ज करनी चाहिए।


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