बीएसएनएल अपनों की उदासीनता का होती रही शिकार
विकसित देशों में शुमार भारत में पहले किसी समय में मौरिस-की मशीन जिससे सांकेतिक भाषा के जरिये संदेश भेजे जाते थे लेकिन देश की सरकारी कंपनी बीएसएनएल ने समय के मुताबिक अपने तरीकों को बदलते व विकसित होने के पहले चरण में टैलीग्राफी से लेकर मौजूदा समय में थ्रीजी तक का सफर तय किया है।
जतिन्द्र पिकल, फिरोजपुर : विकसित देशों में शुमार भारत में पहले किसी समय में मौरिस-की मशीन जिससे सांकेतिक भाषा के जरिये संदेश भेजे जाते थे लेकिन देश की सरकारी कंपनी बीएसएनएल ने समय के मुताबिक अपने तरीकों को बदलते व विकसित होने के पहले चरण में टैलीग्राफी से लेकर मौजूदा समय में थ्रीजी तक का सफर तय किया है। मौजूदा समय में बतौर सीनियर सेक्शन अधिकारी अपनी सेवाएं दे रहे संजय कटारिया का कहना है कि फिरोजपुर का नाम बीएसएनएल के इतिहास में सदा जीवित रहेगा। क्योंकि फिरोजपुर से ही अंतिम टेलीग्राम बतौर अकाउंट अधिकारी विशाल कुमार ने 14 जुलाई 2013 को प्रधानमंत्री प्रणब मुखर्जी को भेजी थी। जिसमें लिखा गया था कि इस अंतिम टेलीग्राम के साथ ही टेलाग्राफी का सुनहरी युग मुकम्मल हुआ है। जनवरी 1882 को शुरू हुई थी लैंडलाइन सेवा, लगे थे देश में 93 नंबर
बीएसएनएल से बतौर सीनियर सेक्शन सुपरवाइजर रिटायर हुए सतीश कटारिया का कहना है कि भले ही देश में लैंडलाइन नंबर लग गए थे लेकिन फिरोजपुर में लैंडलाइन सेवा 1946 में शुरू की गई थी। उन्होंने बताया कि पिछले करीब 40-50 वर्षाें से भी अधिक कई लैंडलाइन नंबर लगे हुए है। बीएसएनएल बन सकती है देश की नंबर वन कंपनी : जिदल
बीएसएनएल में बतौर डीइटी (डिवीजनल इंजीनियर टेलीफोन)के पद पर तैनात अजय जिदल का कहना है कि देश की सरकारी कंपनी होने के बावजूद आज तक यह देश की नंबर वन कंपनी नही बन पाई है क्योंकि शुरू से ही यह सरकारों की उदासीनता का शिकार होती रही है। उन्होंने कहा कि अन्य कंपनियां जिनमें रिलायंस, एयरटेल, आइडिया, वोडाफोन सहित कई ऐसी कपंनिया है जो किसी भी तरह से बीएसएनएल की बराबरी नहीं कर सकती। हैरत की बात है कि सरकारी कंपनी होने के बावजूद यदि सरकारें इसकी तरफ ध्यान दे तो कोई भी कंपनी बीएसएनएल के सामने टिक नही सकती और बीएसएनएल कंपनी को देश की नंबर वन कंपनी बनाने से कोई नबी रोक सकता।