निमोनिया से बचाव के लिए किया जागरूक
सिविल सर्जन डा. राजिदर अरोड़ा ने सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ममदोट की देखरेख में खाई फेमेकी में आयोजित जिला स्तरीय समारोह में कहा कि निमोनिया आने वाले सालों में पांच साल की उम्र के तीन करोड़ बच्चों को प्रभावित कर सकता ह
संवाद सहयोगी, (खाईफेमेकी) फिरोजपुर: सिविल सर्जन डा. राजिदर अरोड़ा ने सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ममदोट की देखरेख में खाई फेमेकी में आयोजित जिला स्तरीय समारोह में कहा कि निमोनिया आने वाले सालों में पांच साल की उम्र के तीन करोड़ बच्चों को प्रभावित कर सकता है, जबकि थोड़ी सी लापरवाही के कारण हर साल करीब एक लाख बच्चे इस बीमारी से मारे जाते हैं।
डा. अरोड़ा ने कहा कि निमोनिया पांच साल तक के बच्चों के लिए खतरनाक है। स्वास्थ्य विभाग का लक्ष्य वर्ष 2025 तक निमोनिया को खत्म करना है, जिसके तहत बच्चों को इस बीमारी से दूर रखने के लिए राष्ट्रव्यापी श्वसन कार्यक्रम शुरू किया गया है। इस अवसर पर डा. रंजीव बैंस एसएमओ, डा. मीनाक्षी जिला टीकाकरण अधिकारी, डा. सुषमा जिला परिवार नियोजन अधिकारी, डा. गगन, बाल रोग विशेषज्ञ, डा. लक्षमी, डा. पूनम, राजीव कुमार जिला मास मीडिया अधिकारी, विकास कालरा, सतनाम सिंह सरपंच, अमरजीत, जगदीश सोढ़ी, बलविदर कौर आदि उपस्थित थे।
उधर, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ममदोट के वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारी डा. रंजीव बैंस ने खाई फेमेकी में जागरूकता स्वास्थ्य शिविर में बताया कि फेफड़ों की यह बीमारी बच्चों में निमोनिया का कारण बन सकती है, जिससे उन्हें सांस लेने में मुश्किल होती है, जिसका इलाज जरूरी है, नहीं तो यह रोग भयानक रूप धारण कर लेता है और यहां तक कि बच्चे की मृत्यु का कारण भी बन जाता है। उन्होंने कहा कि मां का दूध छह महीने तक के बच्चे के लिए जीवन का अमृत है और बच्चे के स्वास्थ्य के लिए पीसीवी, हिब, पेंटा, रोटावायरस की तरह टीका लगवाना बहुत जरूरी है। डा. बैंस ने बताया कि बच्चे की खांसी, सर्दी, फ्लू, बुखार, सीने में जकड़न या सांस लेने में कठिनाई, निमोनिया के लक्षण हैं। सक्षण दिखाई देने पर निकटतम स्वास्थ्य केंद्र से संपर्क किया जाना चाहिए।