पांच वर्ष की आयु में रामलीला के मंच पर गाया था पहला भजन
कहते है पूत के पांव पालने में नजर आते है।
तरूण जैन, फिरोजपुर : कहते है पूत के पांव पालने में नजर आते है। अगर किसी को बुलंदियों को छूने का जुनून लग जाएं तो मंजिल खुद ब खुद उसकी तरफ दौड़ी चली आती है। ऐसा ही जुनून पांच वर्ष की आयु में चांद बजाज के सिर पर चढ़ा था। चांद ने रामलीला के मंच से एक भजन के साथ अपने म्यूजिक करियर की शुरुआत की। जब उसने गीत सुनाया था तो उसकी सभी ने खूब हौसला अफजाई की और तभी से उसके अभिभावकों ने ठान ली थी कि बेटे को संगीत की दुनिया से जोड़ेंगे।
20 वर्षीय चांद ने लॉकडाउन के दौरान एक कैसेट रिलीज की है, जिसका नाम तेरा नाम दाता है। उसमें चांद ने गुरुओं की महिमा का सुरीली आवाज में गुणगान किया है।
डीसीएम इंटरनेशनल स्कूल से बारहवीं कक्षा पास करने के बाद मशहूर गायक बनने के सपने को साकार करने के लिए चांद इन दिनों मुंबई के विस्लिंग वुड्स इंटरनेश्नल में संगीत की डिग्री की पढ़ाई कर रहा है।
चांद का कहना है कि जब वह बचपन में भजन या गीत गाया करता था तो उसकी माता को बहुत अच्छा लगता था। उसने कहा कि उसकी माता कविता बजाज व पिता दविंद्र बजाज दोनो ही संगीत प्रेमी है।
उसने कहा कि स्कूल में संगीत अध्यापकों ने उसे सुर-ताल में गाना, हरमोनियम बजाना, स्वर के साथ अपनी आवाज को मिलाकर स्वर निकालना इत्यादि सीखा और उसने स्कूली शिक्षा के अलावा संगीत को अपनी साधना का हिस्सा बनाते हुए दिन-रात एक की, ताकि संगीत को सीख सके। बजाज ने कहा कि बेशक संगीत एक समुंद्र है, लेकिन उसे लगता है कि वह जरूर संगीत सीखने में कामयाब होगा। चांद पिछले चार साल से मुंबई में है। उसने कहा कि जल्द ही वह अपनी नई एल्बम भी निकालेंगे।
प्रिसिपल संगीता निस्तेंद्रा ने कहा कि वाकई चांद बजाज स्कूल का होनहार विद्यार्थी था। उन्होंने कहा कि स्कूल में होने वाले हर कार्यक्रम में चांद गीतों के माध्यम से समय बांधा करता था और आज भी स्कूल के कार्यक्रम में हिस्सा लेता है।