फिरोजपुर में 22 हजार लाइसेंस होल्डर, 133 के पास एक से ज्यादा हथियार
सीमावर्ती जिले के लोगों में हथियार रखने का क्रेज लगातार बढ़ता जा रहा है। जिले में करीब 22 हजार लोगों के पास असलहा लाइसेंस हैं।
तरूण जैन, फिरोजपुर : सीमावर्ती जिले के लोगों में हथियार रखने का क्रेज लगातार बढ़ता जा रहा है। जिले में करीब 22 हजार लोगों के पास असलहा लाइसेंस हैं। इनमें ऐसे लोग भी शामिल है जिनके पास एक लाइसेंस पर दो व दो से अधिक हथियार हैं। आंकड़ों के अनुसार शहर से ज्यादा ग्रामीणों में हथियार रखने का शौक ज्यादा है।
शहीदों की धरती पर सेवाएं दे चुके पूर्व डिप्टी कमिश्नर चंद्र गेंद की ओर से हाल ही में 21 लोगों के असला लाइसेंस रद करने के आदेश दिए गए थे, जिनमें वो लोग शामिल थे जो संगीनान अपराधिक मामलो में लिप्त है या फिर कोर्ट द्वारा वांछित करार है।
आंकड़ों की बात करे तो जिले में 359 ऐसे लोग थे, जिनके पास एक लाइसेंस पर एक से ज्यादा हथियार थे, लेकिन प्रशासन ने ऐसे लोगो की पहचान करने के बाद एक लाइसेंस पर एक हथियार रखने के आदेश दिए, जिसके बाद लोगों ने अपने ज्यादा हथियारो को असलाह डीलर के पास जमा करवाए और अब 133 लोग ही बचे है, जिन्हें प्रशासन ने 13 दिसंबर का समय दिया है ताकि वह लोग इस अवधि में अपने हथियार जमा करवाएंगे। पिछलें एक वर्ष में करीब दो महिलाओ ने ही वैपन लाइसैंस बनवाए हैं। साल 2000 में जिले में गैंगस्टरों के लाइसेंस बनने का मामला आया था सामने
वर्ष 2000 में यहीं की असला ब्रांच से बने लाइसेंसो का बड़ा मामला सामने आया था। उस वक्त हरियाणा व दिल्ली पुलिस ने आपराधिक किस्म के कुछ ऐसे लोगों को गिरफ्तार किया था, जिनसे जांच के दौरान फिरोजपुर की असला शाखा से बने लाइसेंस बरामद हुए थे। मामला अदालत में जाने के बाद सीबीआइ की जांच बैठी और जांच में सामने आया कि बड़े गैंग के गुर्गो के लाइसैंस फिरोजपुर से से बने थे। सीबीआइ ने उस वक्त करीब 27 हजार लाइसैंसो की जांच की थी। 2010 में डीलरों से बरामद हुई थी मोहरें
2010 में अबोहर में दो आर्म्ज डीलरो से फर्जी मोहरें सहित अन्य आपतिजनक सामग्री बरामद हुई थी। 2011 में अन्य मामले में कुछ असला डीलरों से 120 आर्म्ज लाइसेंस मिलने का केस सूर्खियों में आया था और उस वक्त इसके तार जम्मू-कश्मीर की मिलिटैंसी से जुड़े हुए बताएं जा रहे थे। 2015 में पकड़े थे 53 अवैध हथियार
वर्ष 2015 में एसएसपी हरदयाल सिंह मान के नेतृत्व में पुलिस द्वारा 53 अवैध हथियार व मोहरे बरामद की गई थी। पुलिस ने उस वक्त जिन लोगों को हिरासत में लिया था, उनसें कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आएं थे। इस मामले में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान के डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट रैंक के अधिकारियों की जाली मोहरे लाईसैंसो पर लगी पाई गई थी और इस मामले की तार यूपी के बागपत तक जुड़े हुए थे।
नेताओं की चलती है सिफारिशें
जानकार बताते है कि हथियारो के शौकीन लाइसेंस बनवाने के लिए अपने क्षेत्र के नेताओं के आगे-पीछे घूमते हें। अगर नेता जी अधिकारियों को फोन करके या सूची बनाकर लाइसेंस जल्दी बनाने की सिफारिश कर देते हैं तो असले की फाइल जल्दी ही सभी अधिकारियों के हस्ताक्षर होकर ब्रांच में पहुंच जाती है और लाइसेंस बन जाता है। जबकि कुछ लोगों की फाइलें महीनो भर जांच का हवाला देकर ही धूल फांकती रहती है।
जांच के बाद ही जारी होता है लाइसेंस : एडीसी
एडीसी राजदीप कौर ने कहा कि प्रशासन की ओर से सही व्यक्ति की पहचान कर ही वैपन लाइसेंस जारी किया जाता है। जिन लोगो के पास एक लाइसेंस पर एक से ज्यादा हथियार है, उन्हें अपने हथियार जमा करवाने के आदेश दिए गए है और प्रशासन द्वारा इस पर लगातार कार्य किया जा रहा है ताकि नियमो की उल्लंघना ना हो।