चुनाव में भीड़ इकट्ठा करने पर पाबंदी के फैसले का किया स्वागत
लोकतंत्र के महापर्व का बिगुल बज चुका है। लेकिन इस बार कोरोना महामारी के चलते चुनाव आयोग द्वारा रैलियों पर रोक लगाई गई है।
संवाद सूत्र, फाजिल्का : लोकतंत्र के महापर्व का बिगुल बज चुका है। लेकिन इस बार कोरोना महामारी के चलते चुनाव आयोग द्वारा रैलियों पर रोक लगाई गई है। इसको लेकर विद्यार्थियों का कहना है कि कोरोना महामारी को लेकर सरकार भी सख्त है। इसलिए ही स्कूल बंद किए गए हैं। उन्होंने कहा कि कोरोना के बढ़ते प्रकोप को देखते हुए चुनाव में भीड़ को एकत्रित करने से रोकना जरूरी है। चुनाव आयोग की ओर से पाबंदियां 22 जनवरी तक बढ़ाकर सराहनीय फैसला लिया गया है। उनका कहना है कि रैलियों में लोगों की भीड़ को कंट्रोल करना मुश्किल हो जाएगा, इसलिए संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए यह कदम जरूरी है।
कोरोना को रोकने के लिए पाबंदियां जरूरी
कोरोना महामारी के चलते स्कूल व कालेज बंद हैं। इसलिए बच्चों को आनलाइन पढ़ाई करनी पड़ रही है। अगर वह आनलाइन पढ़ाई कर सकते हैं तो प्रचार क्यूं नहीं आनलाइन हो सकते। कोरोना महामारी को फैलने से रोकने के लिए चुनाव आयोग द्वारा लिया गया फैसला सही है।
-रक्षांदा, विद्यार्थी जलालाबाद
आयोग ने उठाया सही कदम
कोरोना महामारी के बढ़ते मामले के चलते चुनाव आयोग ने समीक्षा बैठक करके 22 जनवरी तक पाबंदियां बढ़ा दी हैं। चुनाव आयोग द्वारा कोरोना की चैन को तोड़ने के लिए उठाया गया कदम सही है। क्योंकि रैलियों में भीड़ को कंट्रोल करना मुश्किल हो जाता है।
-गुरअसीस, विद्यार्थी जलालाबाद पाबंदियों का सभी करें पालन
कोरोना के चलते शिक्षा संस्थानों को बंद करने के अलावा कई पाबंदियां लगाई गई हैं। जो यह बताती है कि इस समय कोरोना की बढ़ रही रफ्तार को रोकने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं। हमें भी सरकार और चुनाव आयोग के इस फैसले को मानते हुए इसका सम्मान करना चाहिए।
--प्रथम, विद्यार्थी अबोहर मानवीय जीवन को बचाने के लिए सही फैसला
चुनाव का माहौल है और रैलियां भी जरूरी हैं। लेकिन उससे भी ज्यादा जरूरी है, लोगों की जिदगियों को बचाना। पिछले एक सप्ताह से कोरोना के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं, ऐसे में चुनाव आयोग द्वारा लिया गया फैसला सही है।
-अनमोल, विद्यार्थी अबोहर