चाचा ने पाई शहादत तो देश की सेवा में जुटा भतीजा
देश की तरफ आंख उठाने वाले दुश्मनों को भारतीय सैनिक न केवल मुंह तोड़ जवाब देते हैं बल्कि अपनी जान को कुर्बान करने से भी पीछे नहीं हटते।
मोहित गिल्होत्रा, फाजिल्का : देश की तरफ आंख उठाने वाले दुश्मनों को भारतीय सैनिक न केवल मुंह तोड़ जवाब देते हैं, बल्कि अपनी जान को कुर्बान करने से भी पीछे नहीं हटते। ऐसे ही वीर सैनिक थे फाजिल्का के गांव साबूआना के सूरमा बलविद्र सिंह, जिन्होंने दुश्मनों से लड़ते हुए मातृभूमि की रक्षा के लिए अपने प्राण देश के लिए न्योछावर कर दिए थे। छोटी आयु में शहादत पाने के चलते एक बार के लिए परिवार पर दुखों का पहाड़ टूटा, लेकिन परिवार ने देश के प्रति सच्चे प्रेम को नहीं त्यागा। बल्कि परिवार के एक बच्चे में शुरू से लेकर जवानी तक देश भक्ति का जज्बा भरा और शहीद बलविद्र सिंह के जीवन से रूबरू करवाया। आज चाचा बलविद्र सिंह के नक्शे कदमों पर चलकर भतीजा जज सिंह फौज में भर्ती होकर देश सेवा में जुटा हुआ है।
छह अप्रैल 1979 में जन्मे बलविदर को बचपन से ही सेना में जाने का शौक था। बलविदर सिंह ने कारगिल में पाकिस्तानी घुसपैठियों के सफाए के लिए चलाए अभियान में दुश्मन से टक्कर लेते हुए सात जनवरी 1999 को प्राणों की आहुति दी, तब बलविद्र सिंह महज 20 वर्ष की आयु के थे। परिवार को जैसे ही उनके शहीद होने की सूचना मिली तो परिवार का दुखों का पहाड़ टूट पड़ा, लेकिन शहीद बलविद्र सिंह का पूरे राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया। तब से लेकर अब तक हर साल जनवरी माह में शहीद बलविद्र सिंह की बरसी मनाई जाती है, जिसमें क्षेत्र के अलावा फौज के लोग शामिल होकर उन्हें याद करते हैं। इनसे मिले प्रेम और देश भक्ति का ही नतीजा है कि शहीद बलविद्र सिंह का भतीजा जज सिंह भी अब फौज में भर्ती होकर देश सेवा में जुड़ गया है।
शहीद बलविद्र सिंह के भाई बूटा सिंह ने बताया कि जब बलविद्र सिंह ने शहादत पाई, तब जज सिंह महज ढाई माह का था। लेकिन शुरू से ही उन्होंने जज सिंह को बलविद्र सिंह के जीवन के बारे में बताते हुए उसमें देश भक्ति का जज्बा बढ़ाया। परिवार ने एक सदस्य खोने के बावजूद अपने कदम पीछे नहीं किए, बल्कि जज सिंह को आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया, जिसके चलते साल 2017 में जज सिंह देश सेवा में जुट गए, जबकि अब उनके पीछे पीछे उनके दूसरे भाई के लड़के ने भी फौज में भर्ती के लिए तैयारी शुरू कर दी है।
शहीद के नाम पर सरकारी स्कूल का नाम
सरकार व फौज ने शहीद बलविद्र सिंह के सम्मान में काफी कार्य किए हैं, जिसमें सरकार ने शहीद को सम्मान देते हुए गांव साबूआना के सरकारी स्कूल का नाम शहीद बलविदर सिंह हाई स्कूल रखा। उसके परिजनों की आर्थिक सहायता की। भाई सतनाम सिंह को गांव करणीखेड़ा के सरकारी स्कूल में नौकरी प्रदान की व शहीद के नाम पर फाजिल्का के आवा रोड पर शहीद बलविदर सिंह नगर का निर्माण किया।