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गोलियां सीना करवाया छलनी, दुश्मन के बंकर में घुस पाई शहादात

भले ही 1971 के भारत-पाक युद्ध की दास्तां अब केवल इतिहास के पन्नों में ही दर्ज होकर रह गई है

By JagranEdited By: Published: Sat, 04 Dec 2021 09:52 PM (IST)Updated: Sat, 04 Dec 2021 09:52 PM (IST)
गोलियां सीना करवाया छलनी, दुश्मन के बंकर में घुस पाई शहादात
गोलियां सीना करवाया छलनी, दुश्मन के बंकर में घुस पाई शहादात

मोहित गिल्होत्रा, फाजिल्का : भले ही 1971 के भारत-पाक युद्ध की दास्तां अब केवल इतिहास के पन्नों में ही दर्ज होकर रह गई है, लेकिन इतिहास एक ऐसी स्मृति है, जिसे भुलाया नहीं जा सकता। वैसे तो इस युद्ध में सैकड़ों वीर जवानों ने देश की रक्षा करते हुए वीरगति को प्राप्त किया, लेकिन फाजिल्का के सादकी बॉर्डर पर दुश्मनों से लोहा लेते हुए हवलदार गंगाधर ने दुश्मनों की नींव हिलाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। उनके साहस का ही नतीजा रहा कि दुश्मन पीछे हटने के लिए मजबूर हो गए।

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दरअसल 1971 के युद्ध के दौरान भारतीय सेना द्वारा दुश्मन के कई क्षेत्र कब्जे में ले लिए गए, जिससे बौखलाए दुश्मन ने फाजिल्का सेक्टर पर अपना कब्जा जमाने की कोशिश की। यह युद्ध तीन दिसंबर को प्रारंभ हुआ और यहां भारी फायरिग के साथ दुश्मन सेना ने फाजिल्का क्षेत्र के कई हिस्से अपने कब्जे में ले लिए। ऐसे में भारतीय जवानों का पहला कार्य फाजिल्का को दुश्मनों के कब्जे से मुक्त करवाना था। चार दिसंबर 1971 की रात को जाट रेजिमेंट की एक पार्ट कंपनी चार बटालियन फाजिल्का में पहुंची। इस दौरान गांव गुरमुख खेड़ा को दुश्मन सेना के कब्जे से छुड़वाने के प्रयास शुरू हुए। इस दौरान दुश्मन गांव और कंपनी पर भारी गोलाबारी कर रहा था। लेकिन हवलदार गंगाधर ने स्वेच्छा से हाथ में फॉस्फोरस ग्रेनेड लेकर दुश्मन के बंकरों को नष्ट करने के लिए गठित आत्मघाती दस्ते का सदस्य बनना मंजूर किया। हवलदार गंगाधर अपने बंकर से 15-16 गज की दूरी पर दुश्मन के बंकरों की ओर रेंगते हुए आगे बढ़े, जिसके बाद हवलदार गंगाधर दौड़े और दुश्मन के बंकर में ग्रेनेड फेंके। लेकिन इस प्रक्रिया में उन्हें दुश्मन की मशीन गन फायर की बौछारें मिलीं। उनके साहसी साहसिक कार्य के परिणामस्वरूप दुश्मन बंकर से पीछे हटने को मजबूर हो गए। दुश्मनों से लोहा लेते हुए हवलदार गंगाधर ने शहीदी प्राप्त कर ली, लेकिन पीठ नहीं दिखाई। उनकी वीरता के चलते भारत सरकार ने उन्हें वीर चक्र देकर सम्मानित किया। आज भी फाजिल्का के निवासी हवलदार गंगाधर की बहादुरी को याद कर उन्हें नमन करने असफवाला में पहुंचते हैं। भारत-पाक युद्ध में 206 हुए शहीद, 364 घायल

भारत-पाक के बीच हुए दो युद्धों में भारी तबाही हुई। इस युद्ध में भारत के 206 जवानों ने अपने प्राणों की कुर्बानी दी, जिनमें 15 राजपूत बटालियन के छह अधिकारी, दो जेसीओ, 62 जवान थे। 4-जाट बटालियन का एक अधिकारी, चार जेसीओ व 64 जवान, 3-असम के चार अधिकारी, तीन जेसीओ व 32 जवान शामिल थे। इनके अलावा भी अन्य बटालियनों के दो जेसीओ तथा 27 जवानों ने अपनी मातृ भूमि की रक्षा में प्राणों को न्योछावर किया। युद्ध में 364 जवान घायल हुए, जिनमें 15 राजपूत बटालियन के पांच अधिकारी, दो जेसीओ व 101 जवान, 4-जाट बटालियन के सात अधिकारी, छह जेसीओ व 104 जवान, 3-असम के दो अधिकारी, 2 जेसीओ व 52 जवान शामिल थे। युद्ध में 13 जवानों को विभिन्न सम्मानों से नवाजा गया। इनमें एक महावीर चक्र, छह वीर चक्र, दो सेना मेडल व चार मैनशन इन डिस्पैच से नवाजे गये। इनकी याद में फाजिल्का के गांव आसफवाला में शहीदों की समाधि का निर्माण किया गया है।


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