पाबंदी के बाद भी 2380 जगह जल गई पराली
भले ही इस साल जिला प्रशासन ने किसानों को पराली न जलाने के बारे में जागरूक करने की कोशिश की है जिसका असर आंकड़ों में भी देखने को मिलता है।
संवाद सूत्र, फाजिल्का : भले ही इस साल जिला प्रशासन ने किसानों को पराली न जलाने के बारे में जागरूक करने की कोशिश की है, जिसका असर आंकड़ों में भी देखने को मिलता है। लेकिन इसके बावजूद कई किसानों ने प्रशासन की अपील की परवाह ना करते हुए पराली को लगातार आग लगाई, जिससे प्रदूषण बढ़ने के कारण अस्पतालों में भी सांस के मरीज बढ़ने लगे हैं। इस साल जिले में 2380 जगह पर किसान पराली को आग लगा चुके हैं।
जिले में 17 अधिकारी लगाए गए हैं, जोकि धान की पराली को जलाने से रोकने के लिए अपने टीम सदस्यों के साथ गांवों में जाकर किसानों को जागरूक कर रहे हैं। जिले के 317 गांवों में धान की बिजाई की गई है। उक्त क्लस्टर इंचार्ज यह भी देख रहे हैं कि कौन से गांव के पास पराली प्रबंधन के लिए कौन सी मशीनरी है, किस व्यक्ति या किस सोसायटी के पास है। उनके द्वारा यह भी देखा जा रहा है कि पराली प्रबंधन की मशीनों के द्वारा जम्मींदार पराली को आग लगाने की बजाय सही ढंग से निपटारा करें। लेकिन इसके बावजूद लगातार किसान पराली को आग लगा रहे हैं। फाजिल्का से जलालाबाद के रास्ते में ही कई जगह पर किसानों की ओर से पराली को आग लगाई गई है। मुख्य कृषि अधिकारी रेशम सिंह ने किसानों से अपील की कि धरती की उपजाऊ शक्ति बरकरार रखने, लंबे समय तक टिकाऊ और लाभदायक खेती करने के लिए धान की पराली को किसी भी कीमत पर आग न लगाई जाए। उन्होंने कहा कि पराली के धुएं के चलते ना केवल वातावरण प्रदूषित हो रहा है और सड़क हादसों का खतरा बढ़ गया है। बल्कि सांस के मरीजों के लिए यह परेशानी पैदा कर रहा है। उन्होंने कहा कि कृषि और किसान भलाई विभाग द्वारा पराली को खेतों में प्रबंधन करने के लिए किसान ग्रुपों, सहकारी सभाओं और किसानों को हैप्पी सीडर, सुपर सीडर, जीरो ड्रिल, एमबी प्लो, चोपर, मल्चर, सुपर एसएमएस आदि नवीनतम खेती मशीनरी सब्सिडी पर मुहैया करवाई जा रही है।
सरकारी अस्पताल में ही दाखिल सांस के 10 मरीज
उधर, सिविल सर्जन डा. देवेंद्र ढांडा ने कहा कि सरकारी अस्पताल में पराली के धुएं की वजह से सांस के मरीजों की संख्या बढ़ रही है। रोजाना सांस के मरीज अस्पताल पहुंच रहे हैं, जबकि 10 लोगों को फाजिल्का के सरकारी अस्पताल में भर्ती किया गया है। उन्होंने कहा कि उक्त धुआं सांस के मरीजों के अलावा कैंसर व अन्य गंभीर बीमारियों से पीड़ित के लिए काफी खतरनाक है। इसलिए किसान इस ओर भी ध्यान दें। पिछले साल से कम हुई पराली जलाने की घटनाएं : रेशम सिंह
मुख्य कृषि अधिकारी रेशम सिंह ने बताया कि फाजिल्का जिले में लगातार किसानों को जागरूक किया गया। इस साल जहां 65 जागरूकता कैंप लगाए गए और हर कैंप में पांच गांवों के किसानों को एकत्रित करें जागरूक किया गया, वहीं चार ब्लाक लेवल के कैंप भी लगाए गए। इसके अलावा चार जागरूकता वैनों ने गांव गांव जाकर किसानों को पराली न जलाने बारे जागरूक किया। यही कारण है कि पिछले साल के मुकाबले इस साल कम जगहों पर पराली जली। उन्होंने बताया कि पिछल साल 3125 जगहें सैटेलाइट से पराली जलने को लेकर देखी गई। जबकि इस साल 2380 जगहें देखी गई। चालान को लेकर डाटा प्लयूशन बोर्ड के पास मौजूद है।