मनुष्य का अहम ही प्रभु प्राप्ति में सबसे बड़ी बाधा : भाई नरेश
श्री साधु आश्रम में सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा करवाई जा रही है।
संवाद सहयोगी, फाजिल्का : श्री साधु आश्रम में सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा करवाई जा रही है। समारोह के छठे दिन कथा व्यास भाई नरेश शर्मा ने भगवान श्री कृष्ण की विविध मनोहारी बाल लीलाओं के रहस्य को समझाते हुए कहा कि इनका श्रवण करने से जीव को माधुर्य अभाव की भक्ति प्राप्त होती है।
भाई नरेश ने कहा कि भगवान कृष्ण विषयी जीवों के अनेक जन्म के पापों को चुराते हैं। साधकों के भजन के अभिमान को चुरा लेते हैं। सिद्ध पुरुषों के चित्त को चुरा लेते हैं। भगवान पतित पावन कृपालु हैं अपनी कृपालता से ही उन्होंने बकासुर, अगासुर, वृक्ष बने कुबेर के पुत्रों का उद्धार किया यद्यपि स्वंय ऊखल बंधन में बंधकर भक्तों को बंधनों को जन्म जन्मांतर तक काट दिया। गौवर्धन लीला कथा प्रसंग द्वारा देवताओं के राजा इंद्र का अभिमान दूर करने के लिए सभी ब्रज वासियों को गौवर्धन पर्वत की पूजा अर्चना करने के लिए कहा। इस लीला को समझाते हुए भाई जी ने कहा कि जीव का अहम ही भगवान की प्राप्ति में सबसे बड़ी बाधा है। जीव का अभिमान दूर कर उसके मन, बुद्धि, चित्त को निर्मल व पवित्र बनाना इन लीलाओं का परम उद्देश्य है। कथावाचक ने मानव जीवन के महत्व को समझाते हुए कहा कि मनुष्य का जन्म इसी उद्देश्य के साथ हुआ है कि वह इस जन्म का लाभ उठाते हुए ज्यादा से ज्यादा भक्ति कर अच्छे कर्म जीवन में दर्ज करवा ले। लेकिन कलयुग में आकर मानव अपने इस उद्देश्य को भूलकर मोह व माया के चुंगल में फंसता जा रहा है। मानव को इन मोह व माया के चंगुल से निजात के लिए कथा व धार्मिक आयोजन में भाग लेना चाहिए। इससे मन में शुद्धता आती है और मन प्रभु भक्ति की ओर अग्रसर होता है। साधु आश्रम के प्रधान रोशन लाल ठक्कर व सचिव अशोक मोंगा ने बताया कि कथा समापन 21 सितंबर शनिवार को होगा। आयोजक जनार्दन लाल शर्मा ने बताया कि 21 सितंबर को पूर्णाहुति व कथा विश्राम आयोजन सुबह नौ से 12 बजे तक होगा। इसके बाद आए हुए श्रद्धालुओं में भंडारा वितरित किया जाएगा।