युवाओं को संस्कारों की जरूरत : साध्वी वैष्णवी
दिव्य ज्योति जागृति संस्थान की ओर से नेहरू स्टेडियम में श्रीमद्भागवत कथा सप्ताह ज्ञानयज्ञ करवाया जा रहा है।
संवाद सहयोगी, अबोहर : दिव्य ज्योति जागृति संस्थान की ओर से नेहरू स्टेडियम में श्रीमद्भागवत कथा सप्ताह ज्ञानयज्ञ करवाया जा रहा है। इसके दूसरे दिन बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचे। साध्वी वैष्णवी भारती ने ध्रुव प्रसंग का व्याख्यान किया। उन्होंने बताया की बालक ध्रुव की माता उन्हें संस्कारवान बनाती हैं। आज संस्कारविहीन वातावरण में पल रही युवा पीढ़ी की यही दशा है। जिस प्रकार मिठाई से मिठास, इक्षुदंड से रस, दूध से घी निकाल लेने से ये निसार तेजहीन हो जाते हैं। वैसे ही मानव जीवन में संस्कार नहीं तो वह तेजहीन हो जाता है। इन संस्कारों के अभाव में युवा वर्ग पश्चिमी सभ्यता का अंधानुकरण कर रहा है। भारतीय परंपराओं का उपहास करना और उन्नति के नाम पर नैतिकता का परित्याग करना उनके जीवन की उपलब्धि बन गई है। फिल्मी सितारों को अपना आदर्श बना उनके जैसी जीवन शैली जीना ही आज के युवा की कहानी है। बाहरी उपलब्धियां तो दिखाई देती हैं, लेकिन नैतिक मूल्यों से विहीन होते जा रहे हैं। आज युवाओं को संस्कारों की आवश्यकता है जो विश्व रूपी बगिया को सुंदर बना सकें। क्योंकि जहां संस्कार हैं, वहां उच्च श्रेष्ठ समाज की परिकल्पना साकार होती है। साध्वी ने जड़ भरत का प्रसंग प्रस्तुत करते हुए कहा कि जड़ भरत ने एक हिरण शावक की रक्षा की लेकिन स्वयं ही उसके मोह पाश में बंध गए। कहते हैं नाव जल में रहे तो ठीक है। यदि जल नाव के भीतर आ जाए तो समस्या है। ठीक ऐसे ही महापुरुषों ने समझाया है यदि संसार में रहना है तो कमल के फूल की तरह बनो, जिसका सबंध सीधा सूर्य के प्रकाश से होता है। हम भी संसार के मोह पाश से तभी मुक्त हो सकते हैं यदि हमारा सबंध उस ज्ञान के सूर्य ईश्वर के साथ हो। भक्तों ने सुमधुर भजनों के साथ कथा का रसपान किया। ज्योति प्रज्वलन की रस्म को निभाने के लिए विशेष रूप से डॉ. सुभाष नागपाल , हरविदर सिंह हैरी, सोमनाथ कालड़ा, कृष्ण नागपाल, राम प्रकाश मित्तल, भूषण गर्ग, सुरेश कुमार बांसल, ओम प्रकाश चानना, सतपाल बांसल व राम निवास गोयल उपस्थित रहे।