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डाक्टरों की हड़ताल के चलते ओपन ओपीडी भी बंद, मरीज हुए परेशान

छठे पे कमीशन के खिलाफ संघर्ष कर रहे डाक्टरों का धरना खत्म होने का नाम नहीं ले रहा। डाक्टरों द्वारा ओपन ओपीडी किए जाने से दूर-दराज गांवों से आने वाले लोगों को इलाज मिलने से कुछ राहत मिल रही थी। लेकिन यह राहत भी सोमवार को खत्म हो गई है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 02 Aug 2021 10:27 PM (IST)Updated: Mon, 02 Aug 2021 10:27 PM (IST)
डाक्टरों की हड़ताल के चलते ओपन ओपीडी भी बंद, मरीज हुए परेशान
डाक्टरों की हड़ताल के चलते ओपन ओपीडी भी बंद, मरीज हुए परेशान

संवाद सूत्र, फाजिल्का : छठे पे कमीशन के खिलाफ संघर्ष कर रहे डाक्टरों का धरना खत्म होने का नाम नहीं ले रहा। डाक्टरों द्वारा ओपन ओपीडी किए जाने से दूर-दराज गांवों से आने वाले लोगों को इलाज मिलने से कुछ राहत मिल रही थी। लेकिन यह राहत भी सोमवार को खत्म हो गई है। डाक्टरों ने तीन दिन तक हड़ताल रखकर ओपन ओपीडी बंद करने का फैसला लिया है। साथ ही डाक्टरों ने एकत्रित होकर सिविल सर्जन कार्यालय के बाहर सरकार के खिलाफ रोष जताया। उधर डाक्टरों की हड़ताल के बारे में पता न होने के चलते मरीजों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ा।

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फाजिल्का के सरकारी अस्पताल में मौजूद बुजुर्ग गांव सलेमशाह निवासी जय चंद ने बताया कि वह घुटनों की तकलीफ के चलते बड़ी मुश्किल से अस्पताल में आया था। यहां आकर पता चला कि डाक्टरों की हड़ताल है और वह तीन दिन तक नहीं आएंगे। इस कारण या तो उसे उक्त दर्द को सहना पड़ेगा या फिर प्राइवेट अस्पताल का सहारा लेना पड़ेगा। इसके अलावा अन्य मरीज भी डाक्टरों के कैबिन के बाहर भटकते हुए नजर आए। उधर, सोमवार को हुए रोष प्रदर्शन में सिविल सर्जन डा. दविदर कुमार ढांडा विशेष रूप से उपस्थित रहे। उन्होंने बताया कि सरकार द्वारा जो यह छठा वेतन आयोग लागू किया गया है वह कर्मचारियों के साथ मात्र धोखा ओर छलावा है। एसएमओ फाजिल्का डा. सुधीर पाठक व एसएमओ सीतोगुणो डा. बबिता ने बताया कि अगर सरकार ने जल्द ही उनकी मांगों पर ध्यान नही दिया तो यह हड़ताल अनिश्चित समय तक जारी रहेगी। अगर फिर भी सरकार द्वारा ध्यान नही दिया जाता तो संघर्ष को ओर तेज किया जाएगा। इस दौरान सीनियर लैब टेक्नीशियन बरोड्रिक ने सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार अस्पतालों का निजीकरण करना चाहती है जिसके चलते सरकार सरकारी अस्पतालों में निजी लैब्स जो 24 घण्टे उपलब्धता के साथ खोलने पर विचार कर रही है। जिसका सीधा असर मरीजो की जेब पर पड़ेगा क्योंकि अभी तक सरकारी अस्पतालों में टेस्ट बिल्कुल मुफ्त में किये जा रहे है।


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