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अब अबोहर में ही चढ़ाए जाएंगे डेंगू से पीड़ितों को प्लेटलेट्स

क्षेत्रवासिसों के लिए राहत भरी खबर है। शहर के सरकारी अस्पताल को प्लेटलेटस चढ़ाने वाली मशीन को इंस्टाल कर दिया गया है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 04 Dec 2020 10:43 PM (IST)Updated: Fri, 04 Dec 2020 10:43 PM (IST)
अब अबोहर में ही चढ़ाए जाएंगे डेंगू से पीड़ितों को प्लेटलेट्स

संवाद सहयोगी, अबोहर : क्षेत्रवासिसों के लिए राहत भरी खबर है। शहर के सरकारी अस्पताल को प्लेटलेटस चढ़ाने वाली मशीन को इंस्टाल कर दिया गया है। जल्द ही मंजूरी मिलने के बाद यह चालू हो जाएगी। इससे पहले अबोहर के सरकारी अस्प्ताल में ही नहीं बल्कि किसी प्राइवेट अस्पताल में यह सुविधा उपलब्ध नहीं थी, जिस कारण डेंगू से पीड़ित मरीजों को श्रीगंगानगर या बठिडा जाने को मजबूर होना पड़ता था। पिछले दिनों शहर में फैले डेंगू के कारण सैकड़ों मरीजों को श्रीगांनगर जाकर प्लेटलेटस चढ़वाने पड़े व समाजसेवी संस्था के श्री बाला जी समाज सेवा संघ ने प्लेटलेट्स उपलबध करवाने में अहम भूमिका निभाई। सरकारी अस्पताल में प्लेटलेट्स वाली मशीन न होने का मामला संदीप जाखड़ के ध्यान में लाया गया तो उन्होंने इस मामले को स्वास्थ्य मंत्री बलवीर सिंह सिद्धू के समक्ष उठाया व मशीन बिना देरी उपलब्ध करवाने की मांग रखी जिस पर स्वास्थ्य मंत्री ने एक सप्ताह में मशीन उपलब्ध करवा दी। मशीन लगने से अब शहर व आसपास के इलाके के लोगो को काफी फायदा होगा व गरीब आदमी भी इलाज करवा पाएगा। लैब व ब्लड बैंक में एलटी की कमी दूर करने की मांग

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अबोहर के सरकारी अस्प्ताल में लैब टैक्नीशियन की कमी है। अस्पताल में बनी लैब में कम से कम चार एलटी की जरूरत है जिसमें केवल दो ही एलटी है। इसके अलावा ब्लड बैंक में 6 एलटी की जरुरत है जिसमें केवल तीन ही एलटी काम कर रहे है। लैब इंचार्ज शमशेर सिंह ने बताया कि अब प्लेटलेट्स मशीन लगने से दो एलटी की वहां जरूरत है। उन्होंने बताया कि इसके अलावा दो एलटी की कोरोना टेस्ट करने में डयूटी लगा दी गई है जिस कारण ब्लड बैंक व लैब का काम काफी प्रभावित हो रहा है। इसके अलावा जिस एलटी की ड्यूटी रात की होती है उसे आगामी दिन की रेस्ट देनी होती है लेकिन स्टाफ की कमी के कारण उन्हें रेस्ट नहीं मिल पा रही। इतना ही नहीं इसमें कई बार स्टाफ को रक्तदान कैंप में भी जाना पड़ता है। इसके अलावा रोजाना कई रक्तदानी रक्तदान करने भी पहुंचते है जिनकी संभाल भी करनी होती है। जबकि रुटीन में रोजाना 20 से 30 यूनिट रक्त भी लोगों को उपलब्ध करवाया जाता है जिनके टेस्ट भी करने होते है। एसएमओ डा. गगनदीप सिंह ने कहा कि इस बारे रिपोर्ट बनाकर विभाग को भेजी जाएगी। उधर, संदीप जाखड़ ने कहा कि जल्द ही यह कमी भी दूर करवाई जाएगी।


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