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अबोहर में प्रबंधक नहीं कालेज खोलने के लिए तैयार

बेशक सरकार की ओर से 16 नवंबर से कालेज खोलने के आदेश जारी कर दिए गए हैं लेकिन शहर के कालेज प्रबंधक अभी कालेज खोलने के पक्ष में नहीं है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 16 Nov 2020 10:23 PM (IST)Updated: Mon, 16 Nov 2020 10:23 PM (IST)
अबोहर में प्रबंधक नहीं कालेज खोलने के लिए तैयार
अबोहर में प्रबंधक नहीं कालेज खोलने के लिए तैयार

राज नरूला, अबोहर : बेशक सरकार की ओर से 16 नवंबर से कालेज खोलने के आदेश जारी कर दिए गए हैं, लेकिन शहर के कालेज प्रबंधक अभी कालेज खोलने के पक्ष में नहीं है। कोरोना के कारण करीब मार्च महीने के अंतिम सप्ताह से कालेज बंद ही पड़े थे। इस दौरान बीए पार्ट वन व पार्ट-2 के विद्यार्थियों को प्रमोट कर दिया गया, जबकि बीए फाइनल की परीक्षा आनलाइन करवाई गई। शहर में डेंगू व कोरोना का खतरा अभी बरकरार है, जिसको लेकर कालेज प्रबंधक कालेज खोलने के पक्ष में नहीं है।

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स्थानीय गोपी चंद आर्य महिला कालेज की प्रिसिपल डॉ. रेखा सूद हांडा ने बताया कि अभी तक पंजाब यूनिवर्सिटी द्वारा भी इस बाबत कोई आदेश जारी नहीं किए गए हैं, जिसकी गाइडलाइन व निर्देश का इंतजार है। अभी शहर में डेंगू काफी फैला हुआ है व कोरोना भी पूरी तरह से खत्म नहीं हुआ है। इसलिए वह अभी कालेज खोलने के पक्ष में नहीं है। उन्होंने कहा कि कॉलेज आने पर छात्राएं एक दूसरे से मिलती भी हैं व साथ साथ बैठती भी है तो इसलिए अभी कोई रिस्क नहीं लिया जाना चाहिए।

स्योन कालेज व कैनवे कालेज आफ एजुकेशन के प्रबंधक विपुल नारंग ने बताया कि कालेज खोलने से पहले सभी कमरों को सैनिटाइज करवा दिया गया है। उन्होंने बताया कि बच्चों को कालेज बुलाने से पहले उनके अभिभावकों से भी सहमित ली जाएगी। उन्होंने कहा कि कालेज में सभी तरह के प्रबंध किए जा रहे हैं व नियमों का पूरी तरह से पालन किया जाएगा। कालेज में व आनलाइन पढ़ाई संभव नहीं: खाटीवाल

सत्यम कालेज फार ग‌र्ल्स के वाइस चेयरमैन बलराम खाटीवाल भी शहर के हालातों को देखते हुए अभी तक कालेज खोलने के लिए तैयार नहीं हैं। उन्होंने कहा कि सरकार की हिदायत है कि 50 फीसदी बच्चों को कालेज बुलाया जा सकता है जो संभव नहीं है। उन्होने कहा कि एक अध्यापक के लिए कालेज में बच्चों को पढ़ाना व फिर आनलाइन कक्षा लेना मुश्किल है। खाटीवाल ने बताया कि अभी अभिभावक भी अपनी लड़कियों को कालेज भेजने से गुरेज कर रहे हैं व केवल 20 फीसदी अभिभावक ही लड़कियों को कॉलेज भेजने को सहमित दे रहे हैं।


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