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जलालाबाद में नहीं बना सरकारी कालेज

विधानसभा चुनाव आते ही हर बार शिक्षा के ढांचे को मजबूत करने की बातें होती हैं लेकिन कई सरकारों के परिवर्तन के बाद भी जलालाबाद में किसी सरकार ने सरकारी कालेज नहीं बनाया जिस कारण जलालाबाद क्षेत्र के ज्यादातर बच्चे 12वीं की पढ़ाई पूरी करने के बाद दूसरे शहरों में पढ़ने के लिए जाने के लिए मजबूर हैं।

By JagranEdited By: Published: Tue, 25 Jan 2022 10:34 PM (IST)Updated: Tue, 25 Jan 2022 10:34 PM (IST)
जलालाबाद में नहीं बना सरकारी कालेज
जलालाबाद में नहीं बना सरकारी कालेज

रवि वाट्स, जलालाबाद (फाजिल्का) : विधानसभा चुनाव आते ही हर बार शिक्षा के ढांचे को मजबूत करने की बातें होती हैं, लेकिन कई सरकारों के परिवर्तन के बाद भी जलालाबाद में किसी सरकार ने सरकारी कालेज नहीं बनाया, जिस कारण जलालाबाद क्षेत्र के ज्यादातर बच्चे 12वीं की पढ़ाई पूरी करने के बाद दूसरे शहरों में पढ़ने के लिए जाने के लिए मजबूर हैं। इनमें से कोई सरकारी एमआर कालेज फाजिल्का, कोई श्री मुक्तसर साहिब तो कोई गुरुहरसहाये जा रहा है, जबकि कई विद्यार्थी तो दूसरे जिलों में माता-पिता से दूर रहकर अच्छी पढ़ाई हासिल करने के लिए मजबूर हैं।

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आज शिक्षा का स्तर लगातार बढ़ रहा है, जिस कारण कालेजों में विद्यार्थियों की भरमार है, लेकिन अभी भी कई परिवार ऐसे हैं, जो अपने बच्चों को शिक्षा तो दिलवाना चाहते हैं, लेकिन प्राइवेट कालेजों में फीसें नहीं भर सकते। जिस कारण विद्यार्थियों को ना चाहते हुए भी सरकारी कालेजों का रूख करना पड़ता है। जलालाबाद के सबसे ज्यादा विद्यार्थी फाजिल्का व श्री मुक्तसर साहिब के सरकारी कालेज में पढ़ने के लिए जाते हैं। रोजाना सुबह घर से दूर होकर कालेज जाना और शाम को वापिस लौटना, यह इन विद्यार्थियों के लिए रोज का कार्य बन गया है। हालांकि मौजूदा समय में कोरोना के चलते कालेज बंद हैं, लेकिन पेपर व अन्य दस्तावेजों के चलते उन्हें कालेज आना पड़ जाता है। ऐसे में जलालाबाद के विद्यार्थी, जिनमें से ज्यादातर वोटर ही हैं, वह जलालाबाद में भी सरकारी कालेज खोलने की मांग कर रहे हैं। इसके अलावा आने वाले समय में कालेज में दाखिला लेने वाले विद्यार्थी भी एक बार फिर से भविष्य के भाग्यविधाता और सरकार की तरफ कालेज को लेकर राह देख रहे हैं।

पढ़ाई के लिए जाना पड़ा बाहर

जलालाबाद निवासी हर्षित ने बताया कि यहां 12वीं कक्षा तक की पढ़ाई के लिए काफी स्कूल हैं, लेकिन कालेज की कमी हमेशा से ही खलती रही है, जिसके चलते उसे भी बाहर पढ़ने के लिए जाना पड़ा। जलालाबाद में कालेज ना होने और फाजिल्का कालेज में बीसीए का कोर्स ना होने के कारण उसे पढ़ाई के लिए बाहर जाना पड़ा। उसने बताया कि कई बच्चे ऐसे हैं, जो अपनी फील्ड के अनुसार पढ़ाई को सिलेक्ट करते हैं, ऐसे में सरकारों को चाहिए कि वह यहां कालेज का इंतजाम करे ताकि दूर दराज शहरों में पढ़ाई के लिए ना जाना पड़े। सड़कों व इमारतों का ही हुआ निर्माण

जलालाबाद निवासी सोना सिंह ने बताया कि आज का समय ऐसा है कि आप पढ़कर थक जाएंगे, लेकिन पढ़ाई पूरी नहीं होगी। लेकिन अभी भी कई क्षेत्र ऐसे हैं, जहां बच्चों की संख्या काफी है, लेकिन वहां सहुलियतें न होने के कारण वह या तो दूर दराज जाने को मजबूर होते हैं, या फिर वंचित रह जाते हैं। इसमें जलालाबाद का नाम भी शामिल है। यहां विकास के नाम पर बड़ी ईमारतें और सड़कों का निर्माण तो हुआ। लेकिन किसी ने भी कालेज को लेकर बात नहीं उठाई, जिस कारण ज्यादातर बच्चे बाहर पढ़ने के लिए जाने को मजबूर है। उसने भी जीरा कालेज से पढ़ाई की।

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इन पार्टियों ने इस बार किए वायदे

बीते दिनी जलालाबाद में पहुंचे सुखबीर बादल ने दावा कि अकाली दल की सरकार बनने पर यहां लड़कियों के लिए सरकारी कालेज खोला जाएगा। ताकि यहां की लड़कियों को बाहर पढ़ने के लिए ना जाना पड़े। जबकि आप के जगदीप गोल्डी ने दावा किया था कि जिस तरह दिल्ली में शिक्षा का स्तर काफी ऊंचा उठाया गया है, उसी तरह जलालाबाद में भी शिक्षा की तस्वीर बदली जाएगी। जिसके बाद यहां के बच्चों को यहीं अच्छी शिक्षा दी जाएगी। जबकि भाजपा प्रत्याशी पूर्ण चंद भी यहां बच्चों के लिए भाजपा सरकार बनने पर हर संभव प्रयास करने के दावे कर रहे हैं। हालांकि अभी कांग्रेस उम्मीदवार के घोषित होने के बाद ही उनके द्वारा चुनावी दावे किए जाएंगे। लेकिन यह दावे कितने सच साबित होंगे, यह तो चुनाव के बाद ही पता चलेगा।


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