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कांग्रेस की दूसरी लिस्ट में साफ होगी फाजिल्का की सियासी तस्वीर

भले ही नामांकन प्रक्रिया के शुरू होने में अब केवल 48 घंटों का समय शेष रह गया है लेकिन फाजिल्का की सियासी तस्वीर अभी पूरी तरह से साफ नहीं हो पाई है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 22 Jan 2022 10:24 PM (IST)Updated: Sat, 22 Jan 2022 10:24 PM (IST)
कांग्रेस की दूसरी लिस्ट में साफ होगी फाजिल्का की सियासी तस्वीर
कांग्रेस की दूसरी लिस्ट में साफ होगी फाजिल्का की सियासी तस्वीर

मोहित गिल्होत्रा, फाजिल्का : भले ही नामांकन प्रक्रिया के शुरू होने में अब केवल 48 घंटों का समय शेष रह गया है, लेकिन फाजिल्का की सियासी तस्वीर अभी पूरी तरह से साफ नहीं हो पाई है। हालांकि बड़ी पार्टियों में शामिल शिअद, भाजपा व आप उम्मीदवारों के पत्ते खोल चुकी है, लेकिन कांग्रेस की पहली लिस्ट में फाजिल्का सीट की घोषणा ना होने के चलते अभी भी पेंच फंसा हुआ है।

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हालांकि कांग्रेस हाईकमान मौजूदा विधायकों की टिकट काटने संबंधी कोई विचार नहीं कर रही। लेकिन फाजिल्का से उम्मीदवारों की लिस्ट लंबी होने के चलते संभव है कि दूसरी लिस्ट में फाजिल्का की सियासी तस्वीर पूरी तरह से साफ हो जाएगी। फाजिल्का विधानसभा हलके की बात करें तो पांच बार यहां से कांग्रेस जीत हासिल कर चुकी है, जबकि चार बार भाजपा भी यहां से जीत हासिल करने में कामयाब हो चुकी है। साल 2017 में सत्ता परिवर्तन के साथ भाजपा का गढ़ टूटने के साथ कांग्रेस विधायक ने जीत हासिल की थी। लेकिन मौजूदा हालातों की बात करें तो आप के नरेंद्र सवना, भाजपा के सुरजीत ज्याणी की टिकट पार्टी घोषित कर चुकी है, जबकि शिअद अध्यक्ष सुखबीर बादल भी हंसराज जोसन को यहां से उम्मीदवार स्टेज पर ऐलान कर चुके हैं, जिससे इन पार्टियों की तस्वीर तो साफ है, लेकिन कांग्रेस की टिकट पर पेंच फंसा हुआ है। नामांकन की प्रक्रिया समाप्त होने के बाद ही फाजिल्का की पिक्चर पूरी तरह से साफ होगी। दविंद्र घुबाया व रंजम कामरा टिकट की दौड़ में

कांग्रेस पार्टी यहां से मौजूदा विधायक दविद्र सिंह घुबाया को टिकट देने पर विचार कर रही है, लेकिन यहां रंजम कामरा के अलावा अन्य उम्मीदवार भी टिकट की राह देख रहे हैं। हालांकि घुबाया समर्थक इस बात के दावे कर रहे हैं कि उनकी टिकट पक्की है। लेकिन अभी हाईकमान के फैसले के बाद ही यहां से टिकट की पिक्चर साफ हो सकेगी। जबकि अन्य पार्टियों के नेता, जिन्हें टिकट नहीं मिली, वह भी आजाद उम्मीदवार के रूप में सियासी भूचाल ला सकते हैं और कुछ किसान संगठनों की पार्टी का उम्मीदवार भी यहां से खड़ा हो सकता है।


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