दिल्ली गए किसान, साथी कर रहे फसलों की संभाल
केंद्र सरकार की ओर से पास किए गए कृषि सुधार कानूनों के विरोध में 25 नवंबर को फाजिल्का से दिल्ली रवाना हुए 500 से ज्यादा किसानों को अपनी फसल व अन्य जरूरतों की चिता सता रही थी।
मोहित गिल्होत्रा, फाजिल्का : केंद्र सरकार की ओर से पास किए गए कृषि सुधार कानूनों के विरोध में 25 नवंबर को फाजिल्का से दिल्ली रवाना हुए 500 से ज्यादा किसानों को अपनी फसल व अन्य जरूरतों की चिता सता रही थी। लेकिन अब इस चिता को यहां बैठे किसान बखूबी दूर कर रहे हैं। दिल्ली में जो किसान संघर्ष में शामिल होने के लिए गए हैं, उनकी फसलों की बिजाई व अन्य कार्य उनके सहयोगी साथी अपने खर्च पर कर रहे हैं। वह किसान अपनी फसल के साथ साथ दिल्ली गए साथी की फसल का भी पूरा ध्यान रख रहे हैं।
गांव कबूलशाह खुब्बन के किसान कुलदीप सिंह ने बताया कि उसने भी कृषि कानूनों को लेकर किए जा रहे संघर्ष में भाग लेने के लिए दिल्ली जाना था, लेकिन वह किन्हीं कारणों के चलते नहीं जा सका। लेकिन उसकी ओर से गांव के किसान हरनेक सिंह की फसल की बिजाई का कार्य किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि भले ही वह इस संघर्ष में शामिल नहीं हो सका, लेकिन वह इस संघर्ष में शामिल किसान की मदद करके खुद ब खूद इस संघर्ष में शामिल हो गया है। उन्होंने कहा कि वह जहां सुबह के समय अपनी फसल को देख रहा है, वहीं शाम के समय अपने ट्रैक्टर के जरिए हरनेक सिंह की फसल की बिजाई कर रहा है। इसके अलावा अन्य किसानों की मदद भी वह कर रहा है, जो दिल्ली गए हुए हैं।
वहीं भारतीय किसान यूनियन के जिला प्रधान प्रगट सिंह ने बताया कि उनकी यूनियन की ओर से जिला महासचिव सुखबीर सिंह किसानों के साथ रवाना हुए हैं, जिसके चलते उनकी ओर से सुखबीर सिंह के गांव रामकोट में फसल की बिजाई करवाई जा रही है। उन्होंने कहा कि किसानों की लड़ाई में हर एक किसान एकजुट है और इसी एकजुटता के साथ वह अपने संघर्ष में कामयाब होंगे।
गांव शामा खानका निवासी रमन कंबोज ने कहा कि उनका एक साथी नवनीत सिंह किसान संघर्ष में शामिल होने के लिए गया हुआ है। उसकी धान की फसल की कटाई के बाद अब गेहूं की फसल की बिजाई होनी थी, लेकिन उसके वहां होने के चलते बिजाई नहीं हो पा रही थी। लेकिन उन्होंने नवनीत सिंह से संपर्क करके उसके खेत में बिजाई शुरू की, जिसका कार्य लगभग समाप्त हो गया है। लेकिन पानी देने व अन्य ख्याल अभी भी उसके द्वारा रखा जा रहा है।