Move to Jagran APP

उम्मीदवार घोषित करने में भाजपा सबसे पिछड़ी

भाजपा जहां उम्मीदवार घोषित करने से सबसे पिछड़ गई है वहीं चुनाव प्रचार में भी भाजपा सबसे पीछे चल रही है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 18 Jan 2022 11:56 PM (IST)Updated: Tue, 18 Jan 2022 11:56 PM (IST)
उम्मीदवार घोषित करने में भाजपा सबसे पिछड़ी
उम्मीदवार घोषित करने में भाजपा सबसे पिछड़ी

राज नरूला, अबोहर : भाजपा जहां उम्मीदवार घोषित करने से सबसे पिछड़ गई है वहीं चुनाव प्रचार में भी भाजपा सबसे पीछे चल रही है।

loksabha election banner

सबसे पहले यहां शिअद ने अपने खिलाड़ी फाजिल्का से पूर्व विधायक डा. महिद्र रिणवा को चुनाव मैदान में उतारा व उन्होंने चुनाव प्रचार शुरू कर दिया। उसके बाद हालांकि कुछ दिन पहले ही आम आदमी पार्टी ने दूसरे नंबर पर दीप कंबोज को चुनाव मैदान में उतारा। कांग्रेस ने भी संदीप जाखड़ को चुनाव मैदान में उतार दिया। हालांकि संदीप जाखड़ का नाम लगभग पहले से ही तय माना जा रहा था और वह इसके लिए पहले से ही तैयारी कर रहे थे। लेकिन भाजपा ने अभी तक अपना उम्मीदवार घोषित नहीं किया जबकि भाजपा पहले भी किसान आंदोलन के चलते अपना चुनाव प्रचार अभियान नहीं कर पाई थी। लिहाजा भाजपा अब जहां उम्मीदवारों की घोषणा करने में पिछड़ रही है तो वहीं चुनाव प्रचार में भी पीछे चल रही है। भाजपा से विधायक अरुण नारंग को प्रत्याशी के रूप में लगभग तय माना जा रहा है व उन्होंने अब अपना चुनाव प्रचार भी शुरू कर दिया है लेकिन भाजपा की टिकट की दौड़ में ओम प्रकाश भुकरका व धनपत सियाग का नाम भी शामिल है। जब तक उम्मीदवार की घोषणा नहीं हो जाती तब तक उम्मीदवार भी खुल कर अपना चुनाव प्रचार करने को गति नहीं दे पा रहे। विधायक अरुण नारंग का कहना है कि भाजपा चुनाव के लिए पूरी तरह से तैयार है व एक आध दिन में टिकट की घोषणा हो जाएगी। उन्होंने कहा कि वह निरंतर अपने वर्करों व कार्यकर्ताओं से संपर्क कर रहे हैं। इसके अलावा बल्लुआना विधानसभा क्षेत्र से भी भाजपा का उम्मीदवार घोषित होना बाकी है जबकि शिअद, आप व कांग्रेस ने अपना उम्मीदवार चुनाव मैदान में उतार दिया है। यहां भाजपा से वंदना सागवाल व पूर्व विधायक गुरतेज सिंह घुडि़याना का नाम टिकट की दौड़ में शामिल है।

कोरोना के कारण प्रचार करना भी चुनौती

उधर, चुनाव मैदान में उतरे उम्मीदवारों के लिए इस बार कोरोना के कारण चुनाव प्रचार करना भी चुनौती बन रहा है। चुनाव आयोग ने रैलियों व रोड शो पर रोक लगा रखी है व ज्यादा एकत्र करने पर भी मनाही है जिसके चलते प्रत्येक गांव व वोटर तक पहुंच करना उम्मीदवार के लिए बड़ी चुनौती बन गया है जबकि पहले कुछ गांवों में मिलाकर एक बड़ी रैली व जलसा रख लिया जाता था जिसमें पार्टी के उम्मीदवार के अलावा सीनियर लीडर अपनी बात व अपने विजन की बात रखते थे। सबसे अहम बात यह होती थी कि जिस जलसे या रैली में अधिक भीड़ होती थी वहां से उम्मीदवार की जीत का अंदाजा लगा लिया जाता था व भीड़ देखकर ही कुछ लोगों का झुकाव उस उम्मीदवार की तरफ हो जाता था लेकिन इस बार न तो उम्मीदवार अंदाजा लगा पा रहे हैं व न ही वोटर।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.