पराली जलाने से नष्ट हो जाते हैं जमीन के मित्र कीड़े व उपजाऊ शक्ति
अबोहर : अबोहर में 10 हजार हेक्टेयर रकबे में धान की बिजाई की गई है। धान की कटाई का सीजन शुरू हो चुका है। सरकार ने पराली जलाने पर पाबंदी लगाई है।
राज नरूला, अबोहर : अबोहर में 10 हजार हेक्टेयर रकबे में धान की बिजाई की गई है। धान की कटाई का सीजन शुरू हो चुका है। सरकार ने पराली जलाने पर पाबंदी लगाई है। कृषि विभाग किसानों को पराली न जलाने के प्रति जागरूक कर रहा है। कृषि अधिकारियों का दावा है कि अबोहर क्षेत्र के अधिकतर किसान पराली नहीं जलाते, पराली न जलाने का मुख्य कारण नजदीकी गांव गद्दडोब में लगी फैक्ट्री है, जो किसानों के खेतों में जाकर पराली की गांठे बनाकर उनसे खरीद कर लेते हैं, जिससे किसानों को आय भी होती है। अधिकारियों का दावा है कि जागरुकता अभियान से किसान पराली न जलाने का संकल्प लेते हैं। कृषि विभाग द्वारा ब्लॉक स्तरीय जागरुकता कैंप मंगलवार को गांव बुर्जमुहार में लगाया गया। नायब तहसीलदार बल¨जदर ¨सह सिद्धू, कृषि अधिकारी डॉ. हरप्रीत पाल कौर, डॉ. मनप्रीत ¨सह, डॉ. राजबीर कौर, डॉ. विजय ¨सह, डॉ. नगीन कुमार व डॉ. सुनीता ने किसानों को पराली जलाने से होने वाले नुकसान के बारे बताया। पराली को जमीन पर कैसे विलय किया जा सकता है इस बाबत डेमो भी दिया गया। डॉ. नगीन कुमार ने बताया कि पराली जलाने से जमीन के मित्र कीड़े नष्ट हो जाते हैं। जमीन की उपजाऊ शक्ति कम हो जाती है। उन्होंने बताया कि पहले इसका कोई हल न होने के कारण पराली को जलाना पड़ता था लेकिन अब अनेक तरह की मशीनें आ चुकी हैं जो पराली को मिट्टी में ही विलय कर देती है जिससे किसानों को काफी फायदा भी होता है। खेतो में पराली जलाने से मिट्टी की उपरी सतह जल जाती है, जिससे भूमि की उपजाऊ शक्ति कम हो जाती है। अगली फसल के लिए ज्यादा पानी, खाद कीटनाशक दवाइयों का इस्तेमाल करना पड़ता है। अगर किसान खेतों में पराली दबा देते हैं तो भूमि की उपजाऊ शक्ति कम नहीं होगी, यही पराली खाद का काम करेगी और जहरीली खाद नहीं डालनी पड़ेगी। ऐसी जमीन में बीजी गई अगली फसल को भी कम पानी देना पड़ेगा । कृषि अधिकारी डॉ. नगीन कुमार ने बताया कि अबोहर क्षेत्र के विभिन्न गांवों के अनेकों किसान ऐसे हैं जो पराली नहीं जलाते व प्रशासन ऐसे किसानों को सम्मानित भी कर चुका है। उन्होंने बताया कि गद्दाडोब के किसान र¨वदर ¨सह, सरूप ¨सह, रामगढ़ के किसान विवेक कुमार व भागीरथ, भंगाला के किसान याद¨वदर ¨सह, द¨वदर ¨सह, मुरादवाला के किसान जरनैल ¨सह, सुखपाल ¨सह, धरांगवाला के किसान भगवंत ¨सह व गुरचरण ¨सह व मान ¨सह इत्यादि किसान शामिल है, जिन्हें जिला प्रशासन द्वारा पराली न जलाने के कारण सम्मानित किया जा चुका है व यह किसान दूसरे किसानों के लिए भी प्रेरणा स्त्रोत बने हुए हैं।