कॉपी :::: संपत्ति घोटाले में नगर परिषद अबोहर को फिर नोटिस
अबोहर मार्च में जारी हुए नोटिस का कोई जवाब न देने पर पंजाब सरकार ने एक बार फिर अबोहर नगर परिषद को अकाली-भाजपा कार्यकाल के दौरान हुए लाखों रुपये के संपत्ति घोटाले के बारे में नोटिस जारी किया है। स्थानीय निकाय विभाग के निदेशक के जारी किए नोटिस में नगर परिषद सात दिन में जवाब मांगा था कि 2010 में हुए संपत्ति घोटाले से कितना आर्थिक नुकसान पहुंचा।
जागरण संवाददाता, अबोहर : मार्च में जारी हुए नोटिस का कोई जवाब न देने पर पंजाब सरकार ने एक बार फिर अबोहर नगर परिषद को अकाली-भाजपा कार्यकाल के दौरान हुए लाखों रुपये के संपत्ति घोटाले के बारे में नोटिस जारी किया है। स्थानीय निकाय विभाग के निदेशक के जारी किए नोटिस में नगर परिषद सात दिन में जवाब मांगा था कि 2010 में हुए संपत्ति घोटाले से कितना आर्थिक नुकसान पहुंचा। उस वक्त कार्यकाल के दौरान अध्यक्ष पद पर शिवराज गोयल थे, जबकि कार्यकारी अधिकारी जगसीर सिंह धालीवाल थे। म्यूनसिपल रिटायर्ड इंप्लाइज वेलफेयर एसोसिएशन के लगाए आरोपों की जांच करते हुए फिरोजपुर उपनिदेशक व ऑडिट विभाग के क्षेत्रीय उपनिदेशक ने इस बात की पुष्टि की थी कि नई सड़क पर व्यवसायिक प्लाटों की निलामी की शर्तों में परिवर्तन कर कुछ लोगों को अनावश्यक आर्थिक लाभ पहुंचाया गया, जबकि परिषद को लाखों रुपये की क्षति पहुंची।
इस प्रकरण में पूर्व ईओ जगसीर धालीवाल के बाद कार्यभार संभालने वाले दो अन्य पूर्व कार्यकारी अधिकारियों भूषण गर्ग व भूषण सिंह राणा को भी दोषी ठहराते हुए चार्जशीट जारी की थी। प्रदेश सरकार ने मामले में जांच विजिलेंस विभाग को सौंपकर सर्वप्रथम सबंधित क्लर्क जसपाल सिंह और फिर तत्कालीन प्रधान शिवराज गोयल पर केस दर्ज किया था। दोनों ने अदालत से जमानत ली थी। स्थानीय निकाय मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू के समक्ष यह मामला प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सुनील जाखड़ द्वारा उठाए जाने के बाद इसकी उच्च स्तरीय जांच के आदेश दिए थे। विभाग के प्रधान सचिव ने सेवानिवृत्त आइएएस अधिकारी व फिरोजपुर के पूर्व उपायुक्त आरसी नैय्यर को जांच के लिए नियुक्त किया था। उनकी रिपोर्ट के आधार पर पूर्व कार्यकारी अधिकारी जगसीर सिंह धालीवाल, भूषण सिंह राणा व भूषण गर्ग के विरुद्ध कार्रवाई शुरू की गई।
नगर परिषद को जवाबदेही के लिए अंतिम अवसर
सरकार ने नगर परिषद से जवाब मांगा है कि इस घोटाले के कारण परिषद को कुल मिलाकर कितना नुकसान पहुंचा। एक माह तक चुप्पी साधने वाली नगर परिषद को अब सरकार ने एक और नोटिस जारी किया है, जिसे इस प्रकरण में अंतिम अवसर माना जा रहा है। शिकायतकर्ताओं ने इस बात पर आपत्ति जताई थी कि इस प्रकरण से जुडे़ अन्य स्टाफ सदस्यों के विरुद्ध अभी तक कार्रवाई क्यों नहीं की गई।
वर्तमान में प्रधान और उपप्रधान का पद खाली
गौर हो कि वित्तीय संकट का सामने कर रही परिषद में इस समय न तो कोई प्रधान पद पर आसीन है और न ही उपप्रधान चुना गया। परिषद पर पहले की तरह शिअद भाजपा का बहुमत बना हुआ है।