12 से 15 घंटे की ड्यूटी, नहीं बंद होने दी कोरोना सैंपलिंग
डाक्टर को भगवान का दूसरा रूप माना जाता है। कोरोना संकट से जूझ रहे मरीजों के इलाज में डाक्टर व स्वास्थ्यकर्मी पिछले डेढ़ साल से दिन-रात एक कर रहे हैं।
मोहित गिल्होत्रा, फाजिल्का : डाक्टर को भगवान का दूसरा रूप माना जाता है। कोरोना संकट से जूझ रहे मरीजों के इलाज में डाक्टर व स्वास्थ्यकर्मी पिछले डेढ़ साल से दिन-रात एक कर रहे हैं। इनमें कुछ ऐसे डाक्टर भी हैं, जो इन मरीजों का इलाज करते-करते खुद भी संक्रमित हुए और ठीक होने के बाद अपनी जान की परवाह किए बिना फिर से अपनी ड्यूटी में जुट गए। इनमें से एक हैं सीएचसी खुईखेड़ा के एडिशनल एसएमओ डा. रोहित गोयल।
वैसे तो डा. गोयल की ड्यूटी सरकारी अस्पताल में बतौर सर्जन के रूप में है, लेकिन कोरोना महामारी के समय उनकी डयूटी खुईखेड़ा में एडिशनल एसएमओ के रूप में लगी। अप्रैल-मई माह की शुरुआत में जब सेहत कर्मी हड़ताल पर गए तो उन्होंने सैंपलिग का कार्य रुकने नहीं दिया और खुद सैंपलिग की। लेकिन करीब डेढ सप्ताह बाद वह कोरोना संक्रमित हो गए। करीब 17 दिन तक इलाज के बाद 18वें दिन अभी शरीर में ताकत की कमी थी, लेकिन इसके बावजूद उन्होंने अपना उत्साह कम नहीं होने दिया और मरीजों की सेवा में डट गए। कोरोना संकट के समय उन्होंने 12 से 15 घंटे की ड्यूटी निभाई, जबकि अब डयूटी और भी बढ़ गई है। उन्होंने कहा कि बतौर डाक्टर उनका पहला उद्देश्य मरीजों की हर तरह की समस्या को दूर करने में प्रयास करना है, जिसमें वह लगातार जुटे हैं। डा. अर्पित भी हुए संक्रमित, 17 दिन बाद लौट काम पर
वहीं सिविल अस्पताल में तैनात डा. अर्पित गुप्ता भी पिछले साल कोरोना संक्रमितों का ईलाज करते संक्रमित हुए। लेकिन 17 दिन बाद वह ठीक हुए और अगले ही दिन ड्यूटी को ज्वाइन करके मरीजों की सेवा में जुट गए। उन्होंने कहा कि मरीज के ठीक होने की डोर भगवान के पास है, लेकिन प्रयास करना हर एक डाक्टर का मुख्य फर्ज है।