किसकी फतेह, किसका चमकेगा सियासी गढ़, जनादेश आज
लोकसभा हलका फतेहगढ़ साहिब आरक्षित क्षेत्र से लोकसभा चुनाव के उम्मीदवार की किस्मत का ताला वीरवार को खुल जाएगा। अधिकतर लोगों व सियासी जानकारों ने यह सीट कांग्रेस की झोली में डाली है और डॉ. अमर सिंह को विजेता उम्मीदवार करार भी दे दिया है। रिवायती पार्टी होने के चलते अकाली दल के दरबारा सिंह गुरु को दूसरे नंबर का उम्मीदवार बताया जा रहा है। वहीं पीडीए के उम्मीदवार मनविदर सिंह ग्यासपुरा प्रचंड जीत का दावा ठोक रहे हैं जिससे जीत के समीकरण को बदलने से इंकार नहीं किया जा सकता है। फतेहगढ़ साहिब के वोटरों की हमेशा यही फितरत रही है कि कोई भी सियासी दल राजीनीतिक विशेषज्ञ व खुफिया एजेसियां यहां का भेद नहीं पा सकी। वोटरों ने हमेशा संभावी उम्मीदवारों की जीत के उल्ट नतीजे दिए हैं क्योंकि यहां 60 फीसद आबादी एससी 20 फीसद ओबीसी और 20 फीसद आम श्रेणी की है।
लखवीर सिंह लक्की, फतेहगढ़ साहिब
लोकसभा हलका फतेहगढ़ साहिब आरक्षित क्षेत्र से लोकसभा चुनाव के उम्मीदवार की किस्मत का ताला वीरवार को खुल जाएगा। अधिकतर लोगों व सियासी जानकारों ने यह सीट कांग्रेस की झोली में डाली है और डॉ. अमर सिंह को विजेता उम्मीदवार करार भी दे दिया है। रिवायती पार्टी होने के चलते अकाली दल के दरबारा सिंह गुरु को दूसरे नंबर का उम्मीदवार बताया जा रहा है। वहीं पीडीए के उम्मीदवार मनविदर सिंह ग्यासपुरा प्रचंड जीत का दावा ठोक रहे हैं जिससे जीत के समीकरण को बदलने से इंकार नहीं किया जा सकता है। फतेहगढ़ साहिब के वोटरों की हमेशा यही फितरत रही है कि कोई भी सियासी दल, राजीनीतिक विशेषज्ञ व खुफिया एजेसियां यहां का भेद नहीं पा सकी। वोटरों ने हमेशा संभावी उम्मीदवारों की जीत के उल्ट नतीजे दिए हैं, क्योंकि यहां 60 फीसद आबादी एससी, 20 फीसद ओबीसी और 20 फीसद आम श्रेणी की है। एससी वोट ही उम्मीदवारों व पार्टियों की नीतियों से खुश व नाखुश होकर जीत हार का फैसला करती हैं। बता दें कि 10 मार्च को आचार संहिता लगने के बाद से लगातार जारी सांसद बनने की भागदौड़ 19 मई को मतदान के साथ ही संपन्न हो गई थी। आज यह देखना अहम रहेगा कि वोटरों ने किस प्रत्याशी या उसकी पार्टी पर सबसे अधिक भरोसा जताया।
15 साल से शिअद की झोली खाली
2004 में रोपड़ लोकसभा क्षेत्र के अधीन सुखदेव सिंह लिबड़ा के सांसद बनने के बाद अब तक अकाली दल इस इलाके में सांसद जिता नहीं पाया है। 2009 के बाद पहली बार संसदीय क्षेत्र बनने के बाद फतेहगढ़ साहिब में कांग्रेस की टिक ट पर सुखदेव सिंह लिबड़ा जीत गए थे।
पांच साल से संसद से हाथ रहा गायब
पिछले पांच साल से कांग्रेस भी अपना उम्मीदवार इस हलके में नहीं जिता पाई। अब संसदीय क्षेत्र के नौ हल्कों में से सात पर कांग्रेस काबिज है। डॉ. सिंह के लिए सांसद बनने की राह आसान जरूर है लेकिन फतेहगढ़ साहिब के लोग हर पांच साल के बाद नई पार्टी को अजमाते हैं। कांग्रेस को अपनी ही विरोधी ताकतों के कारण अधिक मार्जन ना मिलने के कयास लगाए जा रहे हैं।
पीडीए के ग्यासपुरा दे रहे हैं टक्कर
पीडीए के उम्मीदवार मनविदर सिंह ग्यासपुरा जीत का दावा कर चुके हैं और फेसबुक लाइव होकर समर्थकों को जीत यकीनी होने का संदेश भी दे चुके हैं। वहीं डॉ. अमर सिंह के विरोध में खड़े आजाद उम्मीदवारों तथा आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार बनदीप सिंह बन्नी दूलो ने खन्ना, पायल, अमरगढ़, रायकोट तथा बस्सी पठाना हलकों से दूलो परिवार की विरासती वोट अपने पाले में होने की बात कही है। दूसरी ओर वोट फीसद में आई 8.15 गिरावट भी जीत के आंकड़े बदल सकती है।
मनविदर सिंह की पहली है सियासी परीक्षा
पंजाब डेमोक्रेटिक अलायंस के मनविदर सिंह ग्यासपुरा की पहली सियासी परीक्षा है। वह लुधियाना के ग्यासपुरा के रहने वाले हैं और मल्टीनेशनल कंपनी में बतौर इंजीनियर की नौकरी छोड़कर आए हैं। हरियाणा के चिल्लड़कांड के लोगों को इंसाफ दिलाने की लड़ाई लड़ने वाले ग्यासपुरा लोक इंसाफ पार्टी पंजाब (बैंस ब्रदर) के हिस्से आई सीट से पंथक वोट पर गहरा प्रभाव छोड़ चुके हैं। ग्यासपुरा की चुनावी मुहिम में बैंस ब्रदर बलविदर सिंह बैंस व सिमरजीत सिंह बैंस ने पूरी ताकत झोंकी थी।
2014 में आप को मिली थे 52 हजार अधिक वोट
2014 के लोकसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी के सांसद हरिदर सिंह खालसा को संसदीय क्षेत्र के लोगों ने तीसरे दल के तौर पर देखा था और अकाली-कांग्रेस से किनारा कर अरविद केजरीवाल का चेहरा देख खालसा को पार्टी का सांसद चुना। सांसद खालसा मौजूदा कैबिनेट मंत्री साधू सिंह से 52 हजार अधिक वोटों से जीते थे। लेकिन वह लोगों की उम्मीदों पर खरा नहीं उतर सके थे।