माता चक्रेश्वरी देवी जैन मंदिर में वार्षिक समारोह आज से, तैयारियां पूरी
फतेहगढ़ साहिब स्थित सदियों पुराने खंडेलवाल जैनियों की कुल देवी माता श्री चक्रेश्वरी देवी जैन मंदिर में तीन दिवसीय वार्षिक समारोह शुक्रवार से शुरू हो रहा है।
दीपक सूद, सरहिद : फतेहगढ़ साहिब स्थित सदियों पुराने खंडेलवाल जैनियों की कुल देवी माता श्री चक्रेश्वरी देवी जैन मंदिर में तीन दिवसीय वार्षिक समारोह शुक्रवार से शुरू हो रहा है। इस समारोह में देश भर से जैन समुदाय के लोग पहुंचेंगे। प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष एसके जैन ने बताया कि समारोह को लेकर सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं और बाहर से पहुंचने वाले श्रद्धालुओं के ठहरने व लंगर आदि का पूरा प्रबंध कमेटी की ओर से किया गया है। माता के दर्शन करने में किसी भी श्रद्धालुओं को कोई परेशानी न हो, इसलिए मंदिर कमेटी की ओर से कूपन सिस्टम शुरू किया गया है। जिससे श्रद्धालु जारी नंबर अनुसार माता के दर्शन कर सकेंगे। उन्होंने बताया कि निकाले गए ड्रा सिस्टम के तहत ध्वजारोहण की रस्म लुधियाना के संजीव जैन अदा करेंगे। प्रथम प्रसाद चढ़ाने की रस्म लुधियाना के विजय कुमार जैन अदा करेंगे। शुक्रवार की रात को माता का जागरण होगा। शनिवार सुबह 7 बजे मुख्य प्रसाद, साढ़े 9 बजे झंडे की रस्म अदा की जाएगी। जिसके बाद 10 बजे से सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन होगा। 13 अक्टूबर को मुंडन व नामकरण करवाए जाएंगे।
जैन समुदाय में यह मानना है कि यहां जो कोई भी सच्चे मन से मनोकामना करता है, वो जरूर पूरी होती है। यह मंदिर पुत्र रत्न प्राप्ति के नाम से भी जाना जाता है। जैन समुदाय में यह भी माना जाता है कि महाराजा पृथ्वी राज चौहान के शासन काल में एक यात्री संघ महम से कागड़ा तीर्थ को जा रहा था। रास्ते में यह संघ सरहिद में भी रुका था। संघ अपने साथ एक बैलगाड़ी में प्रभु आदिनाथ की अधिष्ठायत्री माता चक्रेश्वरी देवी की प्रतिमा लेकर चल रहा था। लेकिन मंदिर वाले स्थान पर पहुंच लाख प्रयास करने के बावजूद बैलगाड़ी आगे नहीं गई। जब भक्तजनों ने प्रार्थना की तो आकाशवाणी हुई कि यही मेरा स्थान है। मैंने यही निवास करना है। सभी ने माता के आदेश को मानकर मिट्टी के एक छोटे भवन का निर्माण किया। जिसमें माता की वह प्रतिमा स्थापित कर दी। संघ में शामिल यात्रियों में अधिकांश खंडेलवाल जैन थे। आज भी खंडेलवाल जैनी माता को अपनी कुल देवी के रूप में पूजते हैं। श्री गुरु गोबिद सिंह जी के छोटे साहिबजादों के संस्कार के लिए सोने की मुद्राएं बिछाकर भूमि खरीदने वाले दीवान टोडर मल्ल जैन भी माता के भक्त थे।