फंड की कमी के कारण तालाब की सफाई लंबे समय से नहीं हो सकी
दशहरा मैदान सरहिन्द शहर में सदियों पुराना शिव मंदिर धर्म व आस्था का प्रतीक है। मान्यता है कि यह शिव मंदिर साढ़े पांच सदी से भी अधिक वर्ष पुराना है। शिव मंदिर को लेकर उस समय के तत्कालीन पटियाला के महाराजा ने मंदिर के लिए 29 कनाल भूमि व नकदी भी दान में दी थी।
दीपक सूद, सरहिद : दशहरा मैदान सरहिन्द शहर में सदियों पुराना शिव मंदिर धर्म व आस्था का प्रतीक है। मान्यता है कि यह शिव मंदिर साढ़े पांच सदी से भी अधिक वर्ष पुराना है। शिव मंदिर को लेकर उस समय के तत्कालीन पटियाला के महाराजा ने मंदिर के लिए 29 कनाल भूमि व नकदी भी दान में दी थी। ताकि मंदिर में दान व भूमि से होने वाली आय से मंदिर में धर्म कर्म के कार्य चल सके। जिस भूमि पर यह मंदिर बना है उसके नजदीक शमशान घाट, हंसला नदी का किनारा, एक सरोवर, एक कुंआ, बड़ी संख्या में बेलपत्रों व पीपल के वृक्षों के साथ एकांत भी है। हिदू धर्म में मान्यता है कि जहां उक्त सातों एक साथ मौजूद हो, वही शिव जी वास करते है। मौजूदा समय में मंदिर की देखरेख तीन सदस्यों की कमेटी अधीन है। कोर्ट के आदेशों तहत एडवोकेट एनके पुरी व एडवोकेट नरेन्द्र शर्मा बतौर मैनेजर तथा एक सदस्य सुरेश सूद है। सदियों पुराने इस मंदिर में श्री लक्ष्मी नारायण, दुर्गा माता, श्री राधा कृष्ण जी की मूर्तियों की स्थापना सहित 11 कुंडीय यज्ञशाला का भी निर्माण गत वर्षों दौरान करवाया गया है। समय में लगातार बदलाव के बावजूद मंदिर अपनी प्राचीनता कायम रखे है।
मंदिर के मैनेजर एडवोकेट एनके पुरी व एडवोकेट नरेन्द्र शर्मा ने बताया कि समय समय पर तालाब के बाहरी एरिया की सफाई तो होती रहती है, पर तालाब की सफाई लंबे अर्से से नही हो सकी है। कहा कि अगर तालाब की पूर्ण तौर पर सफाई करवाई जाए तो इस पर कम से कम 3-4 लाख रुपये खर्च होंगे, जिसके लिए मंदिर के पास इतना पैसा नही ै। मंदिर की भूमि से या दान से जो भी आय होती है, उसे मंदिर के निर्माण पर, समय समय पर होने वाले धार्मिक आयोजनों, सम्मेलनों, भंडारों सहित देख रेख में ही खर्च हो जाती है। तालाब की सफाई तभी संभव है अगर सांसद या फिर विधायक की ओर से या फिर संगत की ओर से आर्थिक मदद मिल सके।