पानी को लेकर पंजाब-हरियाणा फिर आमने-सामने, अब भाखड़ा के जल को लेकर हुआ विवाद
SYL नहर का विवाद कई सालों से सुलझ नहीं पाया है वहीं अब भाखड़ा से सरहिंद नहर में पानी छोड़ने को लेकर पंजाब और हरियाणा फिर आमने-सामने हो गए हैं।
फतेहगढ़ साहिब [धरमिंदर सिंह]। एक तरफ सतलुज यमुना लिंक (SYL) नहर का विवाद कई सालों से सुलझ नहीं पाया है, वहीं अब भाखड़ा से सरहिंद नहर में पानी छोड़ने को लेकर पंजाब और हरियाणा फिर आमने-सामने हो गए हैं। पंजाब जहां नहर की दरार भरने के लिए कुछ दिन कम पानी छोड़ने की बात कह रहा है, वहीं हरियाणा ने कोरा जवाब दे दिया है कि वह पानी कम नहीं होने देंगे।
दरअसल, गत दिनों गांव शहजादपुर में भूमि कटाव के बाद नहर में दरार आ गई थी। बाढ़ के खतरे को भांपते हुए पंजाब के सिंचाई विभाग ने भाखड़ा प्रबंधन बोर्ड को कुछ दिन नहर की मरम्मत के लिए पानी की मात्रा तीन हजार क्यूसिक करने की मांग की थी। इस पर हरियाणा का सिंचाई विभाग भड़क गया। उसने नियमों का हवाला देते हुए कहा कि यह इतनी बड़ी समस्या नहीं है जितनी पेश की जा रही है। न तो पानी की मात्रा 5500 क्यूसिक से कम हो सकती है और न ही क्लोजर लिया जा सकता है। इतनी मात्रा में ही अन्य तरीकों से दरार भरने का काम करवाया जाए।
हरियाणा सिंचाई विभाग के सलाहकार हरमेल सिंह, एसई अंबाला वीके कंबोज, एक्सईएन जगपाल सिंह और एसडीओ रोहताश स्वामी ने नहर में दरार वाले इलाके का दौरा भी किया। इन अधिकारियों ने नहर में भूमि कटाव का जायजा लेते हुए बकायदा इसकी वीडियो बनाकर उच्च अधिकारियों को भेजी। बता दें सरहिंंद नहर से हरियाणा के साथ-साथ दिल्ली को भी पानी की सप्लाई जाती है। पानी कम छोड़ने के कारण वहां किल्लत का सामना करना पड़ सकता है।
रोज नई मुसीबत : हर प्रयास हो रहा विफल, नहीं भरी जा रही दरार
दूसरी तरफ नहर के आसपास के गांवों में दहशत के माहौल को दूर करने के लिए दरार भरने में जुटे पंजाब के सिंचाई विभाग के लिए नई मुसीबतें खड़ी हो रही हैं। अनेक प्रयास के बावजूद दरार को पूर्ण रूप से भरा नहीं जा रहा। उसी कारण पंजाब के सिंचाई विभाग ने नहर में पानी की मात्रा 9000 से 6500 क्यूसिक करवाई थी। इसके बाद भी दरार में सीमेंट, रेत व बजरी से भरे बैग नहीं टिके। फिर पंजाब ने पानी की मात्रा तीन हजार क्यूसिक करने की मांग की तो हरियाणा में खलबली मच गई। अब सीमेंट, रेत व बजरी से भरे बैगों को लोहे की तारों में लपेटकर इनके क्रेट्स बनाकर भूमि कटाव की जगह भरने का प्रयास किया जाएगा।
सिंचाई विभाग के अनुसार यही अंतिम तरीका बचा है। अगर इसमें भी सफलता नहीं मिली तो यह मामला एक बार फिर गरमा सकता है, क्योंकि एक तरफ गांवों के लोग बाढ़ के डर से सहमे हुए हैं, वहीं हरियाणा भी पानी की किल्लत को लेकर कोई जोखिम नहीं लेना चाहता।
उम्मीद है कि स्थायी हल हो जाएगा
हरियाणा सिंचाई विभाग के सलाहकार हरमेल सिंह का कहना है कि पानी कम करने से हरियाणा में दिक्कत आती है। उसी कारण हमारी जिम्मेदारी बनती है कि जहां भी समस्या आई है वहां जाकर देखा जाए। यह भूमि कटाव ज्यादा गंभीर नहीं है। पंजाब सही तरीके से काम कर रहा है। उम्मीद है कि स्थायी हल हो जाएगा।
पानी के बहाव में खिसक जाते हैं बैग
पंजाब सिंचाई विभाग के एक्सईएन चंद्रमोहन शर्मा का कहना है कि हम जो भी बैग लगाते हैं वो पानी के बहाव में खिसक जाते हैं। कई बैग तो पानी में ही बह गए। भाखड़ा डैम से पानी की मात्रा तीन हजार क्यूसिक करने की मांग की गई थी, ताकि नहर के बीच जाकर समस्या की जड़ तक बैग लगाए जा सकें। ऐसा संभव नहीं हुआ।
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