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एतिहासिक गुरुद्वारा छेवीं पातशाही में लंगर के लिए राजनीति

मंडी गोबिदगढ कोरोना महामारी में हर जरूरतमंद तक लंगर सेवा पहुंचाने में जुटी धन-धन बाबा बुड्ढा जी सेवा दल के प्रतिनिधियों व हलका अमलोह के एसजीपीसी मेंबर रविदर सिंह खालसा में विवाद खड़ा हो गया।

By JagranEdited By: Published: Wed, 15 Apr 2020 11:37 PM (IST)Updated: Wed, 15 Apr 2020 11:37 PM (IST)
एतिहासिक गुरुद्वारा छेवीं पातशाही में लंगर के लिए राजनीति
एतिहासिक गुरुद्वारा छेवीं पातशाही में लंगर के लिए राजनीति

संवाद सहयोगी, मंडी गोबिदगढ : कोरोना महामारी में हर जरूरतमंद तक लंगर सेवा पहुंचाने में जुटी धन-धन बाबा बुड्ढा जी सेवा दल के प्रतिनिधियों व हलका अमलोह के एसजीपीसी मेंबर रविदर सिंह खालसा में विवाद खड़ा हो गया। सोशल मीडिया पर वायरल हुई वीडियो के बाद बड़े विवाद के लिए शिअद के हलका इंचार्ज गुरप्रीत सिंह राजू खन्ना मध्यस्ता करने के लिए ऐतिहासिक गुरुद्वारा साहिब पहुंचे। इस मौके रविदर सिंह खालसा ने उक्त संस्था के प्रतिनिधियों पर आरोप लगाया कि वे गुरुद्वारा साहिब में पहुंचने वाली संगत से सीधे रसद लेकर लंगर चला रहे थे, जिसके बाद इस संस्था को दिए कमरों पर ताला लगा दिया गया। उधर, इस संबंध में जब संस्था के प्रधान जगजीवन सिंह ऊभी से बात की तो उन्होंने कहा कि उनकी संस्था 20 सालों से यहां धार्मिक आयोजन के साथ लंगर सेवा करती आ रही है। जिसमें न तो कभी एसजीपीसी और न ही लोकल गुरुद्वारा साहिब कमेटी की मदद ली जाती है। जब से कोरोना के संबंध में क‌र्फ्यू लगा है, तब से लगभग 800 लोगों के लिए रोजाना लंगर सुबह 11 से दो बजे तक बांटा जाता है, जोकि शहर की संगतों के सहयोग से किया जाता है। इसके लिए एसडीएम अमलोह आनंद सागर शर्मा से मंजूरी मिली है। लेकिन पिछले दिनों पुलिस की सख्ती बढ़ने पर उनकी संस्था के पास क‌र्फ्यू पास न होने की वजह से लंगर सेवा बंद कर दी गई। जिसके बाद गुरप्रीत सिंह राजू खन्ना के विशेष सहयोग से उन्हें दोबारा पास मिले और बुधवार को पुन: लंगर बनाया गया था। लेकिन एसजीपीसी मेंबर रविदर सिंह खालसा ने जबरदस्ती इस नेक कार्य में बाधा डाली। वहीं, काफी देर बाद चली बहसबाजी के बाद पुन: लंगर बरताया गया। वहीं, लंगर को लेकर उक्त तनातानी की चर्चा सोशल मीडिया पर काफी चर्चा में रही है, हालांकि जरूरतमंद लोगों को मिलने वाले गुरु के लंगर में हुई ये राजनीति किसी को भी हजम नहीं आ रही।

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