बरगद के पेड़ का लोगों से है सदियों पुराना नाता
नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया जहा रोड निकालने के लिए किसी की भी जगह कानून के दायरे में लेकर वहा से रोड निकाल देती है।
फतेहगढ़ साहिब/खमाणों, रविंदर सिद्धू : नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया जहा रोड निकालने के लिए किसी की भी जगह कानून के दायरे में लेकर वहा से रोड निकाल देती है। वहीं फतेहगढ़ साहिब के खमाणों इलाके अधीन लुधियाना-चंडीगढ़ रोड पर सदियों पुराने बरगद के पेड़ को बिना काटे व नुकसान पहुंचा अथार्टी ने लोगों की अपील पर पेड़ के नहीं काटा। अथार्टी ने लोगों की भावनाओं व पर्यावरण का भी ख्याल रखा जिससे अथॉरिटी के इस कार्य की भरपूर सराहना हो रही है। गौरतलब है कि खरड़-लुधियाना मुख्य मार्ग को चार से छह मागरें बनाया जा रहा है और अथार्टी की तरफ से हाईवे पर आते पेड़ों को भी काटा गया है परंतु खमाणों में पिछले लंबे समय से लुधियाना-चंडीगढ़ मार्ग पर सदियों से मौजूद बरगद के पेड़ को अथार्टी ने नहीं काटा और नई बनाई जाने वाली खमाणों लिंक सडक़ भी पेड़ से परे होकर बनाई जा रही है। नेशनल हाइवे अथार्टी की इस कार्रवाई की हर कोई प्रशसा कर रहा है दूसरी और पेड़ के नीचे इसकी ठंडी छाव का आनंद लेने वाले लोग इस पेड़ को बाबा बोहड़ का नाम देकर इसकी पूजा करते हैं।
बरगद के पेड़ नीचे लगती है चौपाल
इलाके के बुर्जगों ने बताया कि उनकी रहती उम्र का साथी यह बरगद के यह पेड़ उन्हें सकून देता है और रोजाना पेड़ के नीचे चौपाल लगती है। बरगद के यह पेड़ उनकी जिंदगी का अभिन्न हिस्सा है और उनका परिवार का सदस्य भी है। वह उनको अपना बुर्जुग मानते हैं और उसकी नीचे हर समय पेड़ के नीचे तेल का दीया भी जलता है। एक अन्य जानकारी अनुसार पेड के तले बाबा श्री चंद जी की समाधि बनी हुई है जहा हर समय ज्योति बलती रहती है और उसी समाधि पर शहरवासी समय-समय पर त्यौहारों के अवसर पर लंगर लगाए जाते हैं।
क्या कहते हैं बरोटे नीचे बैठे लोग
बरगग के पेड़ को अपनी जिंदगी का अभिन्न हिस्सा बना चुके लोगों ने कहा कि आज के वैज्ञानिक युग में गावों में लगने वाली चौपाल खत्म होतीं जा रही हैं। जोकिसी समय हर गाव में बरगद या पीपल के पेड़ के नीचे लगती थीं। गाव के हर खबर व लोक मसले पेड़ों की ठंडी छाव में बैठकर सलीके से निपटाए जाते थे।
सदियों पुरानी है पेड़ की उम्र
असल में बरगद के पेड़ की असल उम्र किसी को मालूम नहीं है। पेड़ के नीचे बाबा श्री चंद जी की समाधि पर सेवा करते भक्त बूटा राम ने बताया कि यह पेड़ उनके अनुमान अनुसार 200 साल से अधिक पुराना है। जिसके साथ अनेकों ही लोगों की यादें जुड़ी हुई हैं, क्योंकि गर्मियों के दिनों में पिछले समय में यहा चौपाल लगती आ रही हैं जो आज भी मौजूद हैं। वहीं कुछ पुराने बुर्जुगों ने बरगद के इस पेड़ की उम्र पाच सौ साल के करीब बताई है जिससे इंकार नहीं किया जा सकता।
क्या कहते हैं हाईवे अथार्टी अधिकारी
हाईवे अथार्टी के अधिकारियों का कहना है कि सरकार के आदेशों मुताबिक सडक़ किनारे आते पेड़ों को बचाने के दिशा निर्देश हैं। इस लिए खमाणों में सडक़ किनारे लगा पुरातन बरगद के पेड़ को नहीं काटा गया। उसके कुछ हिस्से को ही काटा गया है ताकि ट्रैफिक में विघ्न पैदा नो हो और कोई हादसा घटे।