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अपने नवजात बेटे का मुंह तक नहीं देख पाए थे शहीद जरनैल ¨सह

लखवीर ¨सह लक्की, फतेहगढ़ साहिब : जिले के गांव कोटला मसूद थाना खेड़ी नोध ¨सह के शहीद पुलिस कर्मी जरनैल ¨सह 1991 में सर¨हद थाना में तैनात थे। जब वह अपने नवजात बेटे को देखने के लिए अस्पताल में पहुंचे तो उन पर हमला हो गया। वहां अपने बेटे का मुंह तक नहीं देख पाए थे उनकी जान चली गई थी।

By JagranEdited By: Published: Mon, 22 Oct 2018 12:16 AM (IST)Updated: Mon, 22 Oct 2018 12:16 AM (IST)
अपने नवजात बेटे का मुंह तक नहीं देख पाए थे शहीद जरनैल ¨सह
अपने नवजात बेटे का मुंह तक नहीं देख पाए थे शहीद जरनैल ¨सह

लखवीर ¨सह लक्की, फतेहगढ़ साहिब : जिले के गांव कोटला मसूद थाना खेड़ी नोध ¨सह के शहीद पुलिस कर्मी जरनैल ¨सह 1991 में सर¨हद थाना में तैनात थे। जब वह अपने नवजात बेटे को देखने के लिए अस्पताल में पहुंचे तो उन पर हमला हो गया। वहां अपने बेटे का मुंह तक नहीं देख पाए थे उनकी जान चली गई थी। जरनैल ¨सह के बेटा जब बड़ा हुआ तो उसे भी पुलिस में नौकरी मिली, लेकिन होनी को कुछ और मंजूर था, एक दिन हादसे में वह भी चल बसा। इस गम के बाद शहीद जरनैल ¨सह की पत्नी की भी सदमे में मौत हो गई, लेकिन शहीद की बेटी कुलदीप कौर अपनी कुल का दीप जलाकर एक काबिल बेटी होने का प्रमाण पेश किया और अपने पिता जरनैल ¨सह और भाई जसमीत ¨सह और माता सरबजीत कौर की मौत के बाद पुलिस की नौकरी कर रहीं हैं। अपने देश प्रति इससे बड़ी समर्पण की भावना और क्या हो सकती है। कह सकते हैं कि जरनैल ¨सह का पूरा परिवार देश की अमन सुरक्षा को समर्पित रहा। बेटी कुलदीप कौर ने बताया कि वह भाई से उम्र में बड़ी थी और 1998 में पिता जी की मौत के बाद उसने हिम्मत नहीं हारी और पंजाब पुलिस की नौकरी ज्वाइन की। छोटा भाई जसमीत ¨सह भी वर्ष 2012 में फतेहगढ़ साहिब पुलिस में भर्ती हुआ था और 2014 में जब वह पुलिस लाईन महादियां में सुबह की परेड के बाद वापिस लौट रहा था तो रास्ते में एक वाहन ने उसे टक्कर मार दी थी जिससे भाई की मौत हो गई थी।

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जिले के 14 परिवारों की है दर्द भरी कहानियां

इस तरह जिले के 14 परिवार और हैं जिनकी अपनी अपनी दर्द भरी कहानियां हैं। जिसमें गांव जागो चनारथल का नेक खान भी है जिनका बेटा अकबर अली अप्रैल 1990 में उस समय बहादुरी के साथ लड़ता हुआ देश के लिए शहादत का जाम पी गया जब वह रेलवे स्टेशन कुराली में तैनात था और एक दिन पेट्रो¨लग के लिए अपने साथियों के अचानक पुलिस पार्टी पर हुए हमले में अकबर अली शहीद हो गया। अकबर अली से पहले उसके दो भाई खुदा को प्यारे हो चुके थे और माता-पिता का आंगन सूना पड़ गया। अकबर के पिता सिर्फ बेटे की 5 हजार पेंशन पर गुजारा करते हैं या फिर पुलिस थाना मूलेपुर के पुलिस कर्मचारी अपनी नेक कमाई से नेक चंद को सहयोग दे रहे हैं।

फतेहगढ़ साहिब के शहीद पुलिस कर्मी

कमल कुमार (29.11.1988)

निर्मल ¨सह (17.08.1989)

नेतर ¨सह (29.10.1990)

राम किशोर (30.11.1990)

गुरदास ¨सह (27.09.1990)

अकबर अली (20.04.1990)

अमरजीत ¨सह (12.11.1991)

अवतार ¨सह (04.02.1991)

जरनैल ¨सह (24.10.1991)

प्रीतम ¨सह (25.02.1991)

भू¨पदर ¨सह (19.05.1991)

रणबीर ¨सह (16.01.1991)

सु¨रदर ¨सह (01.04.1992)

अवतार ¨सह (26.08.1992)

हर¨वदर ¨सह (26.06.1992)

स्वर्ण ¨सह (13.04.1993)


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