करनैल सिंह ने पिछले तीन से नहीं लगाई पराली को आग
धान की पराली को आग लगाना सरकार व प्रशासन के लिए बड़ी समस्या बनी हुई है
संवाद सहयोगी, फतेहगढ़ साहिब : मौजूदा समय में धान की पराली को आग लगाना सरकार व प्रशासन के लिए बड़ी समस्या बनी हुई है और इसे रोकने के लिए पंजाब सरकार तथा कृषि व किसान भलाई विभाग द्वारा किसानों को जागरूक किया जा रहा है। पराली को आग लगाने से जहां वातावरण प्रदूषित होता है, वहीं मानवीय सेहत पर भी असर पड़ता हे। जिले के कई किसान पराली को खेतों में ही मिला रहे है, लेकिन फिर भी पराली को आग लगाने की घटनाएं पूरी तरह से खत्म नहीं हुई।
कृषि व किसान भलाई विभाग द्वारा लगाए जागरूकता कैंप से प्रेरणा लेकर जिले के ब्लाक अमलोह के गांव बरीमा का अग्रणीय किसान करनैल सिंह पिछले तीन साल से पराली को आग लगाए बिना सफलता पूर्वक खेती कर रहा है।
किसान करनैल सिंह के पास 22 एकड़ जमीन है, जिसमें वह गेहूं, धान, गन्ना, सूरजमुखी, आलू और मक्की की खेती करता है। उसने गांव के अन्य किसानों से मिलकर वर्ष 2018-19 में बाबा फतेह ग्रुप बनाया। जिसका वह सलाहकार भी है। इस ग्रुप ने इन सीटू स्कीम के तहत 80 फीसद सब्सिडी पर विभिन्न कृषि मशीनें खरीदी। उसने बताया कि कृषि व किसान भलाई विभाग से 80 फीसद सब्सिडी पर ली मशीनों की बदौलत उसे खेती करने में आसानी हो गई है। वह खुद पराली को आग नहीं लगाता तथा इलाके के अन्य किसानों को भी आग लगाने से होने वाले नुकसान के बारे में जागरूक करता है। उसने कहा कि धान की पराली को खेत में ही मिलाना चाहिए और आग लगाने से गुरेज करना चाहिए। दस एकड़ में करता है आलू की खेती
करनैल सिंह दस एकड़ एरिया में आलू की खेती करता है और पराली को बिना आग लगाए ही खेतों में मिलाकर आलू की बिजाई करता है। पराली को खेत में मिलाने से जहां मिट्टी की उपजाऊ शक्ति बढ़ती है, वहीं फसल के उत्पादन में भी बढ़ोतरी होती है। खाद के इस्तेमाल में भी कमी आई है। इसके साथ ही वह मूंग, मांह, मसरी और चन्ने की खेती करता है और इन पर कीटनाशकों का प्रयोग नहीं होता।