लगातार 16वें दिन बढ़े ईधन के दाम ने हर वर्ग का निकाला कचूमर
मंडी गोबिदगढ़ केंद्र सरकार द्वारा 16 दिन से लगातार बढ़ाए जा रहे ईधन के दामों के कारण हर वर्ग दुखी है।
इकबालदीप संधू, मंडी गोबिदगढ़ : केंद्र सरकार द्वारा 16 दिन से लगातार बढ़ाए जा रहे ईधन के दामों के कारण हर वर्ग दुखी है। इससे पहले लॉकडाउन और ईधन की बढ़ती कीमतों की दोहरी मार ने लोगों का बजट बिगाड़ दिया है। लोग सरकार को कोसने पर मजबूर हैं कि केंद्र इस महामारी के दौरान राहत तो क्या देनी ऊपर से मंहगाई की मार से लोगों का जीना दुश्वार हो गया है।
माल भाड़े के दाम बढ़ेंगे तो प्रोडक्शन लागत बढे़गी : प्रदीप भल्ला
रोलिग मिल के मालिक प्रदीप भल्ला ने कहा कि पेट्रोल की कीमतों में सोमवार को 33 पैसे लीटर और डीजल की कीमतों में 58 पैसे लीटर की वृद्धि की गई। जबकि 16 दिन में पेट्रोल 8.30 और डीजल 9.22 रुपये तक बढ़ा है। इस कारण ट्रांसपोर्टर माल भाड़ा बढ़ाने लगे हैं, जिससे सीधा असर प्रोडक्शन कास्ट बढ़ेगी जिसका सीधा असर ग्राहकों की जेबों पर पड़ेगा।
इंडस्ट्री तो पहले ही घाटे में चल रही है : संजीव सूद
उद्योगपति संजीव सूद ने कहा कि पेट्रोल की बढ़ती कीमतों के कारण ट्रांसपोर्ट पर असर होता है, जिससे लोहा नगरी मंडी गोबिदगढ़ से सीधा संबंध है, क्योंकि यहां कोई सीपोर्ट या एयरपोर्ट नहीं है जिसके जरिए व्यापार किया जा सके। इसके लिए मात्र ट्रांसपोर्ट है जिसको अगर ईधन मंहगा मिले तो निश्चित कीमतों में उछाल आएगा, जबकि मौजूदा इंडस्ट्री महंगी लेबर व कम प्रोडक्शन, ग्राहकों से जूझ रही है। क्योंकि कोरोना से पूरे देश में व्यापार करना फिलहाल संभव नहीं हो रहा।
ईधन की कीमतों का असर हर नागरिक पर होता है : आरपी शारदा
रिटायर्ड बिजली बोर्ड के अधिकारी आरपी शारदा ने कहा कि जिस हिसाब से तेल की कीमतों में बढ़ोतरी हो रही है। इससे देश के हर नागरिक को फर्क पड़ता है, क्योंकि ये आज जरूरी वस्तु है जिसका प्रयोग हर किसी ने करना होता है। अगर ऐसे ही ये बढ़ता रहा तो महंगाई बढ़ेगी, क्योंकि तेल से ट्रांसपोर्ट चलती है। इसी ट्रांस्पोर्ट के जरिए खाने-पीने से लेकर हर सामान देश से इधर से उधर आता जाता है इसलिए इस पर कंट्रोल होना चाहिए।
ईधन दाम बढ़ोतरी की सबसे ज्यादा मार किसानी पर : दविदर संधू
25 सालों से खेती कर रहे गांव छलेड़ी कलां के किसान दविदर संधू ने कहा कि फसल बीजने से लेकर बेचने तक सबसे ज्यादा जरूरत पेट्रोल व डीजल की किसानों को होती है। जिस हिसाब से ईधन के दाम सरकार बढ़ा देती है उससे फसल का खर्च बढ़ जाता है, जबकि बेचने पर दाम नहीं मिलते। यही कारण है कि आज किसानी लाभदायक धंधा नहीं रहा। किसानों को लॉकडाउन के दौरान दोगुनी कीमत पर प्रति एकड़ लेबर मिल रही है, जबकि ईधन की कीमतों में उछाल से आने वाले समय में देश के अन्नदाता को भी कर्ज के मार तले डूबो देगा।