नाड़ को आग लगाकर सरकार के आदेशों की धज्जियां उड़ा रहे किसान
गेहूं की कटाई के बाद खेतों में किसानों द्वारा फसल के अवशेषों (नाड़) को आग लगा दी जा रही है।
दीपक सूद, सरहिद
गेहूं की कटाई के बाद खेतों में किसानों द्वारा फसल के अवशेषों (नाड़) को आग लगा दी जा रही है। इसे रोकने में प्रशासन के प्रयास नाकाफी साबित हो रहे हैं। हालांकि जिला प्रशासन व नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने ऐसा न करने के आदेश जारी किए हुए हैं। लेकिन किसान सरेआम इन आदेशों की धज्जियां उड़ा रहे हैं।
नाड़ को आग लगाने से निकलने वाला जहरीला धुआं न केवल पर्यावरण को नुकसान पहुंचाता है बल्कि ये धुआं कई गंभीर बीमारियों का कारण भी बनता है। इसके साथ साथ नाड़ को आग लगाने से जमीन का उपजाऊपन भी कम होता है। इन दिनों सरहिद-चंडीगढ़ रोड पर पड़ते गांव पीरजैन के नजदीक नाड़ को सरेआम आग लगाई जा रही है। हैरानी है कि इस ओर प्रशासन व संबंधित विभाग द्वारा कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा। आसपास रहने वाले लोगों को सांस लेने में तकलीफ, आंखों में जलन, खांसी, चमड़ी आदि बीमारियों का सामना करना पड़ रहा है। मौजूदा समय में कोरोना महामारी चल रही है। लोग पहले ही सांस की बीमारी से जूझ रहे हैं। ऐसे में किसानों द्वारा लगाई जा रही नाड़ को आग से इस महामारी के और बढ़ने की आशंका है। उधर, इस बारे में कृषि अफसर ब्लाक खेड़ा हरसंगीत सिंह ने कहा कि जो किसान नाड़ को आग लगाएंगे, उनकी रिपोर्ट बनाकर पोल्यूशन कंट्रोल बोर्ड को भेजी जाएगी और उक्त किसानों के खिलाफ बनती कार्रवाई की जाएगी। प्रशासन द्वारा किसानों को गेहूं की नाड़ को आग न लगाने संबंधी हिदायतें जारी की गई हैं। किसानों को ऐसा न करने के लिए समय-समय पर कैंप लगाकर जागरूक भी किया जा रहा है। किसानों में जागरूकता आने से पिछले साल के मुकाबले इस साल नाड़ को आग लगाने की घटनाओं में काफी कमी आई है।
अमृत कौर गिल, डीसी, फतेहगढ़ साहिब