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45 एकड़ में पराली जलाए बिना खेती कर रहा दविदर

दिनोंदिन बढ़ रहे प्रदूषण को रोकना सबके लिए एक चुनौती बना हुआ है और इसके लिए सरकार भी बड़े स्तर पर प्रयास कर रही है।

By JagranEdited By: Published: Thu, 12 Nov 2020 03:31 PM (IST)Updated: Thu, 12 Nov 2020 03:31 PM (IST)
45 एकड़ में पराली जलाए बिना खेती कर रहा दविदर
45 एकड़ में पराली जलाए बिना खेती कर रहा दविदर

संवाद सहयोगी, फतेहगढ़ साहिब : दिनोंदिन बढ़ रहे प्रदूषण को रोकना सबके लिए एक चुनौती बना हुआ है और इसके लिए सरकार भी बड़े स्तर पर प्रयास कर रही है। सरकार की हिदायतों अनुसार कृषि और किसान भलाई विभाग के अधिकारी भी किसानों को पराली खेत में ही मिलाने के लिए गांव स्तर पर कैंप लगाकर जागरूक कर रहे हैं। जिला फतेहगढ़ साहिब में पराली को आग लगाने के रुझान में काफी हद तक कमी आई है और जिले के कई अग्रणी किसान न खुद पराली को आग लगाते हैं, बल्कि अन्य किसानों को भी ऐसा करने से जागरूक कर रहे हैं।

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जिले के ब्लाक सरहिद के गांव जल्ला का अग्रणी किसान दविदर सिंह जल्ला भी इनमें से एक है। जोकि पिछले पांच वर्ष से 45 एकड़ एरिया में पराली को बिना आग लगाए सफलतापूर्वक खेती कर रहा है। गांव का सरपंच होने नाते दविदर सिंह अन्य किसानों को भी पराली को बिना आग लगाए खेती करने के लिए प्रेरित कर रहा है। यदि अन्य गांवों के लोग और सरपंच भी इसी तरह लोगों को जागरूक करें तो पराली को आग लगाने वाले प्रथा से हमेशा के लिए छुटकारा पाया जा सकता है। इस किसान ने कृषि व किसान भलाई विभाग से इस वर्ष सुपर सीडर मशीन भी ली है। जिस पर इसे 87 हजार रुपये सब्सिडी भी प्राप्त हुई है। वह इससे पहले सहकारी सभा जल्ला के सहयोग से रोटावेटर और हैप्पी सीडर से पराली का प्रबंधन करता रहा है तथा अब सुपर सीडर की मदद ले रहा है।

किसान दविदर संह ने जिले के अन्य किसानों को अपील करते कहा कि वह फसलों के अवशेषों को आग लगाने की जगह उन्हें खेतों में ही मिलाने को पहल दें। सरकार द्वारा पराली प्रबंधन के लिए व्यक्तिगत किसानों को 50 फीसद और किसान ग्रुपों, कस्टमर हाइरिग सेंटरों तथा गांवों की सहकारी सभाओं को 80 फीसद सब्सिडी पर खेती मशीनरी भी मुहैया करवाई जा रही है। जिसके प्रयोग से किसान बिना पराली को आग लगाए अन्य फसलों की काश्त कर सकता है।


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