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कांग्रेस व अकालियों की नाकामी से कृषि विधेयक हुए पारित : ढींडसा

फतेहगढ़ साहिब पूर्व वित्त मंत्री व मौजूदा विधायक परमिदर सिंह ढींडसा ने कहा है कि कांग्रेस और अकाली दल की नाकामियों के कारण ही कृषि विधेयक पास हुए हैं।

By JagranEdited By: Published: Thu, 24 Sep 2020 11:41 PM (IST)Updated: Fri, 25 Sep 2020 05:12 AM (IST)
कांग्रेस व अकालियों की नाकामी से कृषि विधेयक हुए पारित : ढींडसा
कांग्रेस व अकालियों की नाकामी से कृषि विधेयक हुए पारित : ढींडसा

संवाद सहयोगी, फतेहगढ़ साहिब : पूर्व वित्त मंत्री व मौजूदा विधायक परमिदर सिंह ढींडसा ने कहा है कि कांग्रेस और अकाली दल की नाकामियों के कारण ही कृषि विधेयक पास हुए हैं। यदि दोनों पार्टियां इसका शुरू से ही विरोध करतीं, तो किसानों को सड़कों पर रूलने की जरूरत नहीं पड़ती। वह 28 सितंबर को शिरोमणि कमेटी की बजट सेशन संबंधी कुछ शिरोमणि कमेटी सदस्यों की श्री अकाल तख्त साहिब के पूर्व जत्थेदार भाई रणजीत सिंह की अगुअई में हुई बैठक में हिस्सा लेने के लिए फतेहगढ़ साहिब पहुंचे थे। ढींडसा ने कहा कि अकाली दल डेमोक्रेटिक किसानों के कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा है और किसानों के हर संघर्ष में उनका साथ देगा।

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उन्होंने कहा कि विधेयक के बारे में मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिदर सिंह को पता था, क्योंकि वह प्रदेशों के सुझाव के लिए बनाई कमेटी में शामिल थे। उन्होंने अपना पक्ष सही तरीके से नहीं रखा और न ही लोगों को बताया कि केंद्र सरकार कृषि विरोधी विधेयक ला रहे हैं। ढींडसा ने कहा कि इस बिल का प्रकाश सिंह बादल, सुखबीर सिंह बादल और हरसिमरत कौर बादल ने भरपूर समर्थन किया था और जब किसानों द्वारा बिल के विरोध में संघर्ष शुरू किया तो उसे भी अकाली दल ने तोड़ने का प्रयास किया। परंतु जब सदन में यह बिल पास हो गए फिर इनका विरोध करने लग गए। अगर पहले ही इसका विरोध किया होता तो यह बिल पास न होता। दूसरी तरफ सेवा सिंह सेखवां ने कहा कि 328 पावन स्वरूप गुम होने के लिए अकाली दल के प्रधान सुखबीर सिंह बादल और शिरोमणि कमेटी प्रधान गोबिद सिंह लोंगोवाल जिम्मेवार हैं, क्योंकि वह यह पता लगाने में नाकाम रहे कि पावन स्वरूप कहां है, किसको दिए। उन्होंने कहा कि 28 सितंबर को होने वाली बजट बैठक में भी यह मुद्दा उठाया जाएगा। साथ ही कहा कि इस मामले संबंधी हुई जांच रिपोर्ट पूरी वेबसाइट पर अप्लोड की जाए, ताकि संगत को भी पता चल सके कि पूरा मामला क्या है।

-सुखवीर सुख


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