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खुले में शौच जाते हैं एक ही क्षेत्र के 250 परिवार, नहीं मिली शौचालय की सुविधा

फतेहगढ़ साहिब पंजाब के जिला फतेहगढ़ साहिब को 2016 में खुले में शौच मुक्त होने का दर्जा जरूर मिला लेकिन हकीकत में जिले के अधिकतर लोग आज भी शौचालय की सुविधा न होने के क ारण खुले में शौच जाते हैं। देश में 17वें और पंजाब में पहले स्थान पर रहने वाले इस जिले के सौ फीसद लोगों के घरों में शौचालय नहीं बने हैं।

By JagranEdited By: Published: Mon, 10 Aug 2020 11:41 PM (IST)Updated: Mon, 10 Aug 2020 11:41 PM (IST)
खुले में शौच जाते हैं एक ही क्षेत्र के 250 परिवार, नहीं मिली शौचालय की सुविधा
खुले में शौच जाते हैं एक ही क्षेत्र के 250 परिवार, नहीं मिली शौचालय की सुविधा

धरमिदर सिंह, फतेहगढ़ साहिब

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पंजाब के जिला फतेहगढ़ साहिब को 2016 में खुले में शौच मुक्त होने का दर्जा जरूर मिला, लेकिन हकीकत में जिले के अधिकतर लोग आज भी शौचालय की सुविधा न होने के क ारण खुले में शौच जाते हैं। देश में 17वें और पंजाब में पहले स्थान पर रहने वाले इस जिले के सौ फीसद लोगों के घरों में शौचालय नहीं बने हैं। एक क्षेत्र तो ऐसा है जहां झुग्गियों व कमरे बनाकर रहने वाले करीब 250 परिवार ही रोजाना खुले में शौच जाते हैं। इन्हें आज तक शौचालय की सुविधा नहीं मिली है। ढाई सौ में से 90 फीसद परिवार पास से निकलने वाली रेलवे लाइनों के किनारे ही शौच करते हैं। वर्षो से ऐसा ही चल रहा है। प्रशासन ने इस तरफ कोई ध्यान नहीं दिया। आलम यह है कि पुराने फ्लाईओवर के पास ब्राह्माणमाजरा क्षेत्र में करीब ढाई सौ परिवार झुग्गियों व कमरों में रहते हैं। इन परिवारों में मासूम बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक शामिल हैं। काफी समय से इन्हें मूलभूत सुविधाएं नहीं मिल रहीं। 2016 में इन्हें उम्मीद जगी थी कि स्वच्छता मिशन के तहत देश भर में बनने जा रहे शौचालयों के अधीन उनका भी क्षेत्र होगा और वे खुले में शौच जाने से बच जाएंगे, लेकिन ऐसा नहीं हो सका।

सांसद ने दी आठ लाख ग्रांट, काम नहीं चढ़ा सिरे

क्षेत्र में स्वच्छता मिशन के तहत शौचालय बनाने के लिए 2017 में उस समय के सांसद हरिदर सिंह खालसा ने आठ लाख की ग्रांट दी थी। इस ग्रांट से चौदह शौचालय बनने थे। हैरानी की बात है कि इनकी संख्या कम करते हुए 10 कर दी गई और दस शौचालयों का निर्माण करते समय घटिया मेटीरियल का प्रयोग किया जाने लगा था। इसका पता चलने पर तत्कालीन सांसद ने काम रुकवाते हुए डिप्टी कमिश्नर को शिकायत दी थी। शिकायत की जांच ऐसी चली कि दोबारा वहां पर एक ईट नहीं लग सकी।

जांच पूरी, आज तक ईओ के खिलाफ कार्रवाई नहीं

इस मामले में उस समय के सहायक कमिश्नर (शिकायतें) ने नगर कौंसिल के तत्कालीन कार्यकारी अधिकारी (ईओ) की लापरवाही को इसका नतीजा करार दिया था। डिप्टी कमिश्नर ने ईओ के खिलाफ विभागीय कार्रवाई के लिए स्थानीय निकाय विभाग के अधिकारियों को लिखा गया था। हैरानी की बात है कि ईओ के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई। यही ईओ आज भी अपनी ड्यूटी बिना किसी डर के कर रहे हैं।

गबन का केस दर्ज होना चाहिए : पूर्व अध्यक्ष

नगर कौंसिल के पूर्व अध्यक्ष शेर सिंह ने कहा कि इस मामले में कई बार शिकायतें कर चुके हैं। जिला योजना बोर्ड की बैठकों में भी मुद्दा उठा चुके हैं। सबसे पहले सरकारी ग्रांट में गबन करने के आरोप में ईओ और ठेकेदार के खिलाफ मामला दर्ज होना चाहिए। इसके साथ ही शौचालयों का काम शुरू करवाते हुए लोगों को सुविधा देनी चाहिए। उन्होंने स्थानीय निकाय विभाग पर भी कार्रवाई को रोकने का आरोप लगाया।

हमारी जांच मुकम्मल हो गई थी : सहायक कश्मिनर

सहायक कमिश्नर (शिकायतें) जसप्रीत सिंह ने कहा कि उनसे पहले अधिकारी ने जांच मुकम्मल करते हुए ईओ के खिलाफ कार्रवाई के लिए संबंधित विभाग को पत्र लिख दिया था। ईओ के खिलाफ कार्रवाई उनके विभाग की तरफ से की जानी है। शौचालयों के निर्माण की जो बात है वह मौका देखकर शुरू करवा दिया जाएगा। जिले का कोई भी नागरिक खुले में शौच नहीं जाएगा।


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