सैन्य छावनी बनने के साथ स्थापित हुआ बीएसएफ तोफखाना का मुख्यालय
आजादी से पहले फरीदकोट में फरीदकोट रियासत का शासन था। देश के आजाद होने पर फरीदकोट बठिडा जिले की तहसील बना
प्रदीप कुमार सिंह, फरीदकोट,
आजादी से पहले फरीदकोट में फरीदकोट रियासत का शासन था। देश के आजाद होने पर फरीदकोट बठिडा जिले की तहसील बना, उसके बाद 1972 पंजाब के तत्कालीन मुख्यमंत्री ज्ञानी जैल सिंह द्वारा पंजाब के 12वें जिले के रूप में फरीदकोट की घोषणा की गई। इसी दौरान फरीदकोट जिले में फरीदकोट सैन्य छावनी व बीएसफ तोपखाना हेडक्वार्टर की स्थापना हुई है।
फरीदकोट जिले में सैन्य छावनी व बीएसएफ हेडक्वार्टर की स्थापना होने से देश की रक्षा में दोनों प्रतिष्ठानों की भूमिका अहम हुई है। भारत-पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय सीमा से पचास किलोमीटर के दायरे में स्थित फरीदकोट के इन दोनों प्रतिष्ठानों से देश की सुरक्षा को बल मिला है। फरीदकोट सैन्य छावनी की जरूरत पाकिस्तान के साथ युद्ध के समय उस वक्त महसूस हुई थी, जब पाकिस्तानी सेना फिरोजपुर सतलुज पुल तक आ गई थी, उस समय बठिडा सैन्य छावनी से फिरोजपुर सीमा तक सेना के पहुंचने वाले समय को देखते हुए फरीदकोट में सैन्य छावनी बनाने का निर्णय सामरिक दृष्टि से बेहद अहम रहा।
इसी काल में बीएसएफ तोपखाना रेजीमेंट के हेडक्वार्टर की स्थापना भी फरीदकोट में हुई। लाईट तोपों का प्रयोग करने वाली यह रेजीमेंट पाकिस्तान से सटे गुजरात, राजस्थान, पंजाब आदि सीमाओं में हल्की तोपों के साथ देश की सुरक्षा में तैनात हैं, किसी भी परिस्थित में बीएसएफ की यह रेजीमेंट पाकिस्तान का सामाना करने में सक्षम होती है।
फरीदकोट सैन्य छावनी व बीएसएफ हेडक्वार्टर में देश भर से हजारों की संख्या में जवान व अधिकारी कार्यरत हैं, जो कि देश की सुरक्षा में अपना अहम योगदान दे रहे हैं। दोनों रक्षा प्रतिष्ठानों के स्थापित होने से फरीदकोट जैसे छोटे शहर की पूरे देश में ख्याति हुई है। इससे फरीदकोट शहर के विकास भी बल मिला है।
इसके अलावा देश को आजादी मिलने के बाद जिले के कानून-व्यवस्था की जिम्मेदारी पुलिस के पास आई।