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संपूर्ण रामचरित मानस का निष्कर्ष है सुंदरकांड : रितू भारती

दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान की ओर से डोगर बस्ती में एक दिवसीय सुंदर कांड प्रसंग का आयोजन किया गया।

By JagranEdited By: Published: Wed, 29 Jun 2022 04:59 PM (IST)Updated: Wed, 29 Jun 2022 04:59 PM (IST)
संपूर्ण रामचरित मानस का निष्कर्ष है सुंदरकांड : रितू भारती
संपूर्ण रामचरित मानस का निष्कर्ष है सुंदरकांड : रितू भारती

जागरण संवाददाता, फरीदकोट

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दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान की ओर से डोगर बस्ती में एक दिवसीय सुंदरकांड प्रसंग का आयोजन किया गया। श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए सर्वश्री आशुतोष महाराज की शिष्या साध्वी रितू भारती ने कहा कि रामचरित मानस में तुलसीदास जी ने सात कांडों का वर्णन किया गया है। सर्वप्रथम बालकांड में प्रभु श्रीराम के अवतार का वर्णन आता है। अरण्य कांड से लेकर किष्किन्धाकांड तक एक भक्त के जीवन में आने वाले संघर्षों का वर्णन किया गया, और जब यह संघर्ष चरम सीमा तक पहुंच जाते हैं तो उसका वर्णन सुंदरकांड में आता है। आगे लंका कांड में रावण के वध की गाथा है और अंत में उत्तरकांड में सम्पूर्ण रामचरित मानस का निष्कर्ष निकाला गया है।

साध्वी ने बताया कि हम इन सात कांडो में से सुन्दरकांड का पाठ करते हैं। सर्वप्रथम हम यह जानने का प्रयास करें कि इसका नाम सुन्दरकांड ही क्यों रखा गया। एक तो इसमें भक्त के जीवन के बारे में सुंदर- सुंदर बातें लिखी हैं, और दूसरा यह बताया गया है कि वास्तविक सुंदरता क्या है। प्रभु को तन की नहीं मन की सुंदरता भाती है, जैसी सुंदरता मां शबरी के पास थी। उनके कुरूप होने पर भी प्रभु श्रीराम ने उनको भामिनी कहकर संबोधित किया। क्योंकि उन्होंने भक्ति के द्वारा अपने मन को सुंदर बना लिया था। प्रभु श्रीराम की कृपा से हनुमान जी ने भी अपने भीतर उस प्रभु को जाना और वानर जाति के होने पर भी समस्त संसार में पूजनीय हो गए। हनुमानजी प्रभु श्रीराम के ऐसे अमोघ बाण थे कि प्रभु उनको जो भी कार्य सौंपते थे वह उसको पूरा करके ही आते थे। हनुमान जी ने अपनी संपूर्ण शक्ति को प्रभु श्रीराम के कार्य में लगा दिया था जो हमें यह संदेश देता है कि अगर हमारे पास तन-मन धन की कोई भी समर्था है और हमें प्रभु कार्य करने का कोई अवसर प्राप्त हो तो हमें कभी भी पीछे नहीं हटना चाहिए। उस के द्वारा प्रभु कार्य को अवश्य करना चाहिए।

साध्वी बहनों के द्वारा सुंदर चौपाइयों एवं भजनों का मधुर गायन किया गया। कार्यक्रम का समापन हनुमान चालीसा एवं आरती का गायन करके किया गया।


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