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पर्यावरण के मुद्दे पर लोग नेताओं से पूछें सवाल : सींचेवाल

पंजाब में पर्यावरण दिन-प्रतिदिन गंभीर होता जा रहा है। शुद्ध पर्यावरण सभी की जरूरत है परंतु राजनीतिक दलों की इछाशक्ति के बिना यह संभव नहीं है

By JagranEdited By: Published: Sat, 22 Jan 2022 05:53 PM (IST)Updated: Sat, 22 Jan 2022 05:53 PM (IST)
पर्यावरण के मुद्दे पर लोग नेताओं से पूछें सवाल : सींचेवाल
पर्यावरण के मुद्दे पर लोग नेताओं से पूछें सवाल : सींचेवाल

जागरण संवाददाता, फरीदकोट

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पंजाब में पर्यावरण दिन-प्रतिदिन गंभीर होता जा रहा है। शुद्ध पर्यावरण सभी की जरूरत है, परंतु राजनीतिक दलों की इच्छाशक्ति के बिना यह संभव नहीं है। अभी तक राजनीतिक दल के छोटे-बड़े सभी नेता इस मुद्दे से दूरी बनाए हुए है, अब समय की जरूरत है कि लोग जागरूक हो और नेताओं से सवाल पूछे कि वह पर्यावरण की शुद्धता के लिए क्या करना चाहते है और उनके पास क्या प्लान है।

पर्यावरण शुद्धता के लिए अभियान चलाने वाले संत सींचेवाल ने यह बातें फरीदकोट के चंदबाजा गांव में गुरप्रीत सिंह घर पर दैनिक जागरण के साथ बात करते हुए कही। उन्होंने कि अब तो कोरोना महामारी के कारण चुनावी रैलियां बंद है। यह अच्छी बात है, ऐसे में लोगों के घर राजनीतिक दल के नेता वोट मांगने जा रहे है, ऐसे में हम सभी वोट मांगने आ रहे नेताओं से पूछे कि प्रदूषित हो चुके पर्यावरण शुद्धता के उनके व उनकी पार्टी के पास क्या प्लान है और उसे वह कैसे अमल में लाएगी।

संत सींचेवाल ने कहा कि इसमें महिलाओं की सबसे ज्यादा बड़ी भूमिका है। प्राय: घरों पर महिलाएं ही होती हैं, ऐसे में महिलाओं को नेताओं से अपने व अपने आने वाली पीढ़ी को शुद्ध पर्यावरण मिल सके, इसके लिए उन्हें नेताओं से पर्यावरण पर तीखे सवाल पूछने चाहिए, ताकि नेता भी यह सोचने व करने पर विवश हों कि अब पर्यावरण का मुद्दा लोक मुद्दा बन गया है, और उन्हें लोगों को यह प्रपोजल देने के लिए बाध्य होना पड़ेगा कि वह और उनकी पार्टी यदि सत्ता में आती है तो वह पर्यावरण शुद्धता के लिए कैसे और क्या काम करेंगे।

उन्होंने कहा कि पर्यावरण प्रदूषित होने का ही दुष्परिणाम है कि हमारा समाज कई गंभीर व जानलेवा बीमारियों की चपेट में आ रहा है, आदमी तो आदमी पशु-पक्षी भी इससे सुरक्षित नहीं हैं, वह भी कैंसर की जद में आ गए हैं। अज्ञानतावश हम उन पशुओं के दूध का भी सेवन कर रहे है जिन्हें कैंसर जैसी गंभीर बीमारी हो गई है, ऐसी स्थिति से हम सभी तभी बच सकते है जबकि सत्ता में बैठे लोग इस पर काम करें, अब समय है कि विधानसभा चुनाव के दौरान हम सभी अपने नेताओं से यह पूछे, ताकि वह पर्यावरण को अपने घोषणापत्र में शामिल करे, और जब वह सत्ता में आए तो उस पर अमल करे।


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