खेती विरासत मिशन ने मनाया वन महोत्सव
वातावरण को शुद्ध हरा-भरा एवं आने वाली पीढि़यों और पशु पक्षियों के लिए अनुकूल बनाए रखने के लिए वन महोत्सव का आयोजन किया गया।
संवाद सूत्र, जैतो : खेती विरासत मिशन के कार्यकारी निर्देशक उमेन्द्र दत्त के नेतृत्व में कुदरती खेती, स्वास्थ्य और पर्यावरण संरक्षण के लिए कार्यरत समाज सेवी संस्था खेती विरासत मिशन, जैतो द्वारा श्री गुरु पूर्णिमा के उपलक्ष्य में स्थानीय आरवी शांति नगर के पार्क में वातावरण को शुद्ध, हरा-भरा एवं आने वाली पीढि़यों और पशु पक्षियों के लिए अनुकूल बनाए रखने के लिए वन महोत्सव का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम के आयोजन में भाई कन्हैया कैंसर रोको सोसाइटी (फरीदकोट), एकलव्य वेलफेयर सोसाइटी बठिडा और बठिडा सोशल ग्रुप बठिडा ने विभिन्न प्रकार के फलदार, फूलदार और छायादार वृक्षों के पौधे प्रदान किए। जिसमें फरीदकोट जिले के विभिन्न गावों, कस्बों और शहरों से लगभग 100 के करीब कुदरती खेती करने वाले किसान भाई, गावों में घरेलू बगीची का काम करने वाली महिलाएं और शहर के गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे। इस समारोह को खेती विरासत मिशन के कार्यकारी निर्देशक उमेन्द्र दत्त, गुरप्रीत सिंह, चंद बाजा प्रधान भाई कन्हैया कैंसर रोको सोसाइटी, फरीदकोट, डा. तरसेम गर्ग प्रधान बठिडा सोशल ग्रुप बठिडा, जगतार सिंह धालीवाल, रमेश चंद मांडिया, किसान जगमोहन सिंह कोणी, किसान सुखदेव सिंह रोड़ीकपूरा, जेईई हरजीत सिंह, प्रीतम कौर ने सम्बोधित किया। वक्ताओं द्वारा सभी को जैविक खेती करने और अधिक से अधिक पेड़ लगाने के लिए प्रेरित किया गया।
कुदरती खेती में भी पेड़ निभाते हैं अहम भूमिका
उन्होंने सभी को कुदरती खेती में पेड़ों की महत्वपूर्ण भूमिका के बारे में विस्तार से बताया। इस समारोह में बताया गया कि कैसे वृक्ष हमें ऑक्सीजन देने के साथ साथ हमारे खेतों में नाइट्रोजन की मात्रा को नियंत्रित रखते हैं। पेड़, पक्षियों का कुदरती आवास हैं और पक्षी हमारे खेतों के कीट प्रबंधन में सहायक होते हैं।
भू संरक्षण का महत्वपूर्ण स्रोत हैं पेड़-पौधे : उमेंद्र दत्त
खेती विरासत मिशन के कार्यकारी निर्देशक उमेंद्र दत्त ने बताया कि पेड़, जैव विविधता, पानी बचाव, सुंदरता, फल, फूल, कुदरती खाद (इनके पत्तों द्वारा बनने वाली) भूमि संरक्षण का महत्वपूर्ण स्रोत हैं। उन्होंने कहा कि एक साल में एक पेड़ लगभग 260 पौंड आक्सीजन छोड़ता है। पेड़ों द्वारा होने वाले वातावरण और मनुष्य दोनों के लाभों के साथ-साथ आर्थिक लाभों को भी स्पष्ट किया।
आने वाले दिनों में लगाए जाएंगे विरासती पेड़
इस कार्यक्रम में यह भी निश्चित किया गया कि आने वाले दिनों में खेती विरासत मिशन बठिडा सोशल ग्रुप के साथ मिलकर पंचवटी (आंवला, बेलपत्र, सीता अशोक, पीपल, बरगद) और त्रिवेणी (नीम, पीपल, बरगद) लगाने के साथ साथ विरासती पेड़ भी लगाएगा।
इस समारोह में नीम, आंवला, शहतूत, सोहांजना, जामुन, अमरुद, सुखचैन, कड़ी पत्ता, तुलसी, गुलमोहर, शीशम अदि जैसे विविध प्रकार के 600 के करीब छायादार और फलदार-फूलदार पेड़ -पौधे बांटे गए। कार्यक्रम में विशेष तौर पर डॉ. गुरमेल सिंह, जेईई तेजा सिंह, कुदरती खेती के जनक अमरजीत शर्मा जी, डा. देविदर सैफी, जगसीर सिंह सुखनवाला, लाभ सिंह, दर्शन सिंह बल्हाडिय़ा, हरविदर सिंह रामेआना, बिदर सिंह ढैपई, गुरमेल सिंह ढिल्लों, कुलभूषण महेश्वरी, अशोक कुमार, करमवीर सिंह और बड़ी संख्या में किचन गार्डन का काम करने वाली महिलाएं विशेष तौर पर उपस्थित रहे।