ओट सेंटर में रोजाना पहुंच रहे सवा मरीज, 14 दिन की मिलेगी दवा
ओट सेंटरों में बढ़ती मरीजों की संख्या को देख कर सहजता से अनुमान लगाया जा सकता है कि फरीदकोट जिले में नशे की समस्या कितनी गंभीर है।
जागरण संवाददाता, फरीदकोट: ओट सेंटरों में बढ़ती मरीजों की संख्या को देख कर सहजता से अनुमान लगाया जा सकता है कि फरीदकोट जिले में नशे की समस्या कितनी गंभीर है। सप्ताह भर पहले फरीदकोट सिविल अस्पताल में खुले ओट सेंटर में मरीजों की संख्या बढ़कर सवा सौ पहुंच गई है, यह संख्या तब यहां पर इतनी है, जबकि फरीदकोट मेडिकल कालेज में नशा छुड़ाओ का बड़ा अस्पताल है, यहीं नहीं शहर में निजी अस्पताल में भी इतनी ही संख्या में नशे से छुटकारा पाने के लिए लोग पहुंच रहे है।
सिविल अस्प्ताल फरीदकोट में कार्यरत डॉ. रणजीत कौर ने बताया कि नशे से पीड़ित लोगों की संख्या बहुत ज्यादा है, वह सुबह से दोपहर बाद तक लगातार ओपीडी में बैठकर मरीजों को देखती है, यहीं नहीं उनके साथ डॉ. नेहा गोयल भी मरीजों को देख रही है, परंतु मरीजों की तादात घटने का नाम ही नहीं ले रही है, उन्होंने बताया मरीजों की बढ़ती संख्या को देखते हुए अस्पताल प्रशासन द्वारा लिए गए निर्णय के तहत एक मरीज को 14 दिन की दवा दी जा रही है, यदि मरीजों को दो से तीन दिन की दवा दी जाती तो मरीजों की संख्या कहीं ज्यादा हो जाएगी, जिससे संभालने में भारी मुश्किल पेश आएगी।
सिविल अस्पताल के एसएमओ डॉ चंद्रशेखर कक्कड़ ने बताया कि अस्पताल में रोजाना औसतन एक हजार मरीज उपचार के लिए पहुंच रहे है, जिसमें अकेले सवा सौ के लगभग मरीज नशे व मनोरोग से जुड़े है, जिसे देखते हुए सप्ताह भर पहले अस्पताल के पिछले हिस्से में अलग से ओट सेंटर की स्थापना की गई, ओट सेंटर में डॉ रणजीत कौर व डॉ नेहा गोयल व अन्य स्टाफ द्वारा मरीजों का उपचार किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि अस्पताल में लगातार मरीजों की संख्या बढ़ रही है, जिसके लिए प्रबंध भी किए जा रहे है।
ओट सेंटर से हमें एक महीने की मिले दवा : बलजिदर सिंह
नौ साल पोस्त, गांजा व हेरोइन का नशा करने वाले बलजिदर सिंह ने बताया कि नशे के कारण उनकी गृहस्थी चौपट हो गई, उन्होंने नशे की चाहत में 11 एकड़ जमीन बेच डाली, अब कुछ नहीं बचा तो समझ में आया कि नशा छोड़ दे, यहां वह उपचार के लिए आए है तो डाक्टर द्वारा उन्हें मात्र 14 दिन की दवा दी जा रही है, जबकि उनके जैसे लोग इतनी दूर-दराज से आ रहे है तो ऐसे में वह लोग चाहते है कि उन्हें कम से कम एक महीने की दवा जरूर मिले।