भगत नामदेव जी की वाणी में संपूर्ण मानवता को पवित्रता प्रदान करने की क्षमता
शिरोमणि भगत बाबा नामदेव जी का 750वां आगमन पर्व पर तीन दिवसीय समारोंह की शुरुआत हुई।
संवाद सहयोगी, कोटकपूरा
शिरोमणि भगत बाबा नामदेव जी का 750वां आगमन पर्व पर तीन दिवसीय समारोह स्थानीय मोगा रोड स्थित बाबा नामदेव भवन में शुरू हुआ। सभा के अध्यक्ष शरणजीत सिंह मूकर ने बताया कि 27 नवंबर को सुबह 11 बजे श्री अखंड पाठ साहिब आरंभ किए गए और शाम को कथा कीर्तन हुआ। शनिवार 28 नवंबर को सायं 3 बजे दस्तार मुकाबले करवाए जाएंगे और शान 6-30 बजे कथा कीर्तन और इको फ्रेंडली आतिशबाजी होगी। 29 नवंबर को सुबह 9 बजे श्री अखंड पाठ साहिब के भोग के उपरांत 10 बजे तक कथा कीर्तन होगा जिसके बाद स्वैछिक रक्तदान शिविर आयोजित किया जाएगा। गुरु का अटूट लंगर लगातार जारी रहेगा।
उन्होंने बताया कि शिरोमणि भक्त नामदेव जी का संपूर्ण जीवन मानव कल्याण के लिए समर्पित रहा। भक्त नामदेव जी ने पंजाबी में पद्य रचना भी की। भक्त नामदेव जी के महाप्रयाण से तीन सौ साल बाद श्री गुरु अर्जुनदेव जी ने उनकी बाणी का संकलन श्री गुरु ग्रंथ साहिब में किया। श्री गुरु ग्रंथ साहिब में उनके 61 पद, 3 श्लोक, 18 रागों में संकलित हैं।
वास्तव में श्री गुरु साहिब में नामदेव जी की वाणी अमृत का वह निरंतर बहता हुआ झरना है, जिसमें संपूर्ण मानवता को पवित्रता प्रदान करने का सामर्थ्य है। 'मुखबानी' नामक ग्रंथ में उनकी कईं रचनाएं संग्रहित हैं। उनके जीवन के एक रोचक प्रसंग के अनुसार एक बार जब वे भोजन कर रहे थे, तब एक श्वान आकर रोटी उठाकर ले भागा। नामदेव जी उसके पीछे घी का कटोरा लेकर भागने लगे और कहने लगे हे भगवान, रुखी मत खाओ साथ में घी लो। विश्व भर में उनकी पहचान 'संत शिरोमणि' के रूप में जानी जाती है।