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मन की मैल धोने का सर्वोत्तम साधन है कथा

श्री कल्याण कमल आश्रम हरिद्वार के अनंत श्री विभूषित 1008 महामंडलेशेवर स्वामी कमलनंदगिरि ने प्रवचन किए।

By JagranEdited By: Published: Tue, 30 Nov 2021 05:10 PM (IST)Updated: Tue, 30 Nov 2021 05:10 PM (IST)
मन की मैल धोने का सर्वोत्तम साधन है कथा
मन की मैल धोने का सर्वोत्तम साधन है कथा

संवाद सहयोगी, फरीदकोट

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श्री कल्याण कमल आश्रम हरिद्वार के अनंत श्री विभूषित 1008 महामंडलेश्वर स्वामी कमलानंद गिरि ने कहा कि जो मनुष्य निष्काम भाव से कथा सुनते हैं वे अनेक प्रकार से सुख व संपत्ति तो पाते हैं वहीं वे जगत में सुखों को भोगकर अंत काल में श्री रघुनाथ जी के परम धाम को जाते हैं। इसलिए कथा कोई भी हो उसे निष्काम भाव से सुनें। कथा मन की मैल को धोने का सर्वोत्तम साधन है। श्री रामचरितमानस में लिखा भी है कि जो मनुष्य पांच-सात चौपाइयों को भी मनोहर जानकर ह्दय में धारण कर लेता है, उसके सभी प्रकार के उत्पन्न विकार श्री राम जी हरण कर लेते हैं। इसलिए उठते-बैठते, सोते-जागते, खाते-पीते अपने ईष्ट देव के नाम का ही उच्चारण करते रहें। स्वामी कमलानंद गिरि ने ये विचार रोज एनक्लेव स्थित श्री महामृत्युंजय महादेव मंदिर में श्री कल्याण कमल सत्संग समिति फरीदकोट की ओर से आयोजित प्रवचन कार्यक्रम के दौरान प्रवचनों की अमृतवर्षा करते हुए व्यक्त किए।

स्वामी कमलानंद गिरि ने कहा कि मनुष्य को हमेशा नम्रता धारण करनी चाहिए। कभी दुश्मन को भी कटु वचन नहीं बोलने चाहिए। दुश्मन की बुराई का बदला भी अच्छाई से चुकाना चाहिए। अगर हम भी दूसरों की तरह बुरा व्यवहार करेंगे तो उसमें और हममें क्या अंतर रह जाएगा। मनुष्य को सदकर्म करने चाहिए और दुष्कर्मों से बचना चाहिए। आज संसार में हर प्राणी सुख की तलाश में है परंतु उसे फिर भी सुख नसीब नहीं होता। इसका एक ही कारण है मनुष्य की कपटवृति। मनुष्य अगर खुद सुखी होना चाहता है तो उसे दूसरों को भी सुख देना होगा। अगर मनुष्य दूसरों को दु:ख पहुंचाए और खुद सुख की कामना करे तो उसे सुख कदापि नहीं मिल सकता। उन्होंने कहा कि मानवता बिना मनुष्य किसी काम का नहीं महामंडलेश्वर स्वामी कमलानंद जी महाराज ने कहा कि जिस तरह सुगंध के बगैर फूल किसी काम का नहीं है। बादलों के बिना सावन किसी काम का नहीं है। उसी तरह मानवता के बिना मनुष्य किसी काम का नहीं है। सत्संग से न हो सकने वाला कार्य भी सहज ही हो जाता है। अगर मनुष्य श्रेष्ठ पुरूषों की संगत में रहे तो अनेक दुर्गुण तो नष्ट होते ही हैं बल्कि उसे आत्म मुक्ति के सच्चे मार्ग की पहचान भी हो जाती है। जिसे पाकर वह अपने मानव जीवन को सार्थक कर सकता है।


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