सांप-सीढ़ी के खेल से बच्चों में पैदा की पढ़ने की रुचि
सांप-सीढ़ी खेल बच्चे से लेकर बूढ़े तक शायद ही कोई हो जिसको इसकी जानकारी न हो।
प्रदीप कुमार सिंह, फरीदकोट
सांप-सीढ़ी खेल बच्चे से लेकर बूढ़े तक शायद ही कोई होगा जो यह खेल न खेला और इसके बारे में न जानता हो। इस खेल को ही एक प्राइमरी अध्यापक ने बच्चों में पढ़ाई के प्रति रूचि पैदा करने के साथ ही उन्हें पढ़ाई में कुशल बनाने के लिए किया और उसका प्रयोग सफल रहा, अब उसे राष्ट्रीय पुरस्कार हेतु चयनित किया गया है। यह पुरस्कार एनसीआरटी द्वारा एनोवेटिव प्रैक्टिस एंड एक्सपेरिमेंट इन एजुकेशन फार स्कूल एंड टीचर एजुकेशन इंसाल्यूशन के लिए फरीदकोट जिले के सरकारी प्राइमरी स्कूल मचाकी मल सिंह के हेड मास्टर वीरेन्द्र शर्मा को दिया जा रहा है।
वीरेन्द्र शर्मा ने बताया कि उनका स्कूल कुछ समय पहले ही इंग्लिश मीडियम हुआ था, ऐसे में शुद्ध ग्रामीण पृष्ठभूमि के बच्चों को शुरू की क्लासों से अंग्रेजी सिखाना टेढ़ी खीर था। इसके लिए उन्होंने लंबे सोच-विचार के बाद सांप-सीढ़ी खेल चुना, और इसके लिए उन्होंने फर्नीचर बनाने वाली दुकान से सामान जुटाकर सांप-सीढ़ी खेल का पूरा चार्ट बनाया। इसके माध्यम से खेल-खेल में कक्षा एक के 21 बच्चों को पढ़ाना शुरू किया। बच्चे चार्ट पर चढ़कर खेल-खेल में पढ़ना शुरू किए, इससे उन्हें एक तो एक से लेकर 100 तक संख्या पूरी याद हो गई। यहीं उलटी दिशा में 100 से 1 तक गिनती याद हो गई, इसके अलावा बच्चों को एबीसीडी भी अच्छे से पढ़नी व लिखनी आ गई। आज उनके स्कूल की कक्षा एक बच्चे कि जिले के किसी भी निजी कांवेंट स्कूल से प्रतियोगिता में पिछड़ेगे नहीं बल्कि आगे ही निकलेंगे।
शर्मा ने बताया कि राष्ट्रीय स्तर पर एनसीआरटी द्वारा बच्चों को पढ़ाने व अध्यापकों के लिए पढ़ाने के नए तरीकों पर हर साल प्रतियोगिता करवाई जाती है। इस प्रतियोगिता के लिए उन्होंने अपने सांप-सीढ़ी वाले प्रोजेक्ट को शामिल किया था, जिसकी समय-समय पर एनसीआरटी द्वारा मानीटरिग होती रही। एक से 3 मार्च के बीच उनके फाइनल प्रोजेक्ट पर दिल्ली में चर्चा हुई, जिसके बाद उन्होंने अपना प्रोजेक्ट शामिल कर दिया। अब उन्हें इसके लिए राष्ट्रीय स्तर पर पुरस्कार मिलना है, जिसका पत्र उन्हें 31 मार्च को मिल गया है। उन्होंने बताया राष्ट्रीय पुरस्कार में उन्हें दस हजार रुपये व प्रशंसा पत्र मिलेगा।