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सच्ची श्रद्धा से कठिन कार्य भी हो जाता है सरल : कमलानंद गिरि

श्री कल्याण कमल आश्रम हरिद्वार के अनंत श्री विभूषित 1008 महामंडलेश्वर स्वामी कमलानंद गिरि महाराज ने कहा कि श्रद्धा वह चमत्कारिक शक्ति है जो भक्त को पाषाण में भी प्रभु के दिव्य रूप का दर्शन कराती है।

By JagranEdited By: Published: Thu, 31 Dec 2020 07:44 PM (IST)Updated: Fri, 01 Jan 2021 06:59 AM (IST)
सच्ची श्रद्धा से कठिन कार्य भी हो जाता है सरल : कमलानंद गिरि
सच्ची श्रद्धा से कठिन कार्य भी हो जाता है सरल : कमलानंद गिरि

जागरण संवाददाता, फरीदकोट : श्री कल्याण कमल आश्रम हरिद्वार के अनंत श्री विभूषित 1008 महामंडलेश्वर स्वामी कमलानंद गिरि महाराज ने कहा कि श्रद्धा वह चमत्कारिक शक्ति है जो भक्त को पाषाण में भी प्रभु के दिव्य रूप का दर्शन कराती है। अगर दिल में सच्ची श्रद्धा है तो कठिन कार्य भी सहज व सरलता से ही हो जाते हैं। मन में ही स्वर्ग होता है और मन में ही नरक। व्यक्ति खुद ही घर-परिवार को स्वर्ग बनाता है और खुद ही नरक। व्यक्ति के स्वभाव को बदलना बड़ा कठिन है। मनुष्य की भावना पर सब कुछ निर्भर रहता है। जिस प्रकार कुरूक्षेत्र की धरती पर कौरवों और पांडवों के दरमियान युद्ध हुआ था। उसी प्रकार मनुष्य के मन में हर समय इच्छाओं तथा तृष्णाओं का युद्ध चलता रहता है। इस जगत में कोई भी सगा-संबंधी जीव को उसके किए गए कर्मों के फल से बचा नहीं सकता। महाराज ने ये विचार रोज एनक्लेव स्थित श्री महामृत्युंजय महादेव मंदिर में श्री कल्याण कमल सत्संग समिति की ओर से आयोजित श्री राम चरित मानस के उत्तरकांड कथा के दौरान प्रवचनों की अमृतवर्षा करते हुए व्यक्त किए। महाराज ने कहा कि मनुष्य जैसे कर्म करेगा उसका वैसा ही फल मिलेगा। अर्थात जैसे बीज बोओगे वैसा फल पाओगे। मनुष्य की हर सोच उसके जीवन के खेत में बोया गया एक बीज ही है। यदि मनुष्य अच्छी सोच के बीज बोएगा तो अच्छा फल मिलेगा। अगर बुरी सोच के बीच बोएगा तो बबूल ही मिलेगा। भविष्य को स्वर्णमयी बनाने के लिए उन बीजों का ध्यान देना होगा जो आज बो रहे हैं। प्रेम के बीज बोएंगे तो प्रेम के ही फल अंकुरित होकर आएंगे। क्रोध और गाली-गलौच के बीज बोएंगे तो खुद के लिए विषैले तथा व्यंग भरे वातावरण का निर्माण होगा। मनुष्य की सोच जैसी होगी उसके विचार भी वैसे बन जाएंगे।

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जरूरतमंदों की मदद कर करें नववर्ष का आगाज

महाराज ने कहा कि मनुष्य अंत समय में खाली हाथ ही इस दुनिया से विदा हो जाता है। सभी को ये बात भली-भांति पता है, मगर सब कुछ जानते हुए भी हम धन-दौलत व माया की होड़ में इस तरह कमाने में लगे हैं कि प्रभु भक्ति के लिए समय तक नहीं है। अगर परमात्मा ने किसी को अपार धन-दौलत व संपत्ति का मालिक बनाया है तो उसे इसका शुक्राना करते हुए जरूरतमंदों व असहायों की मदद जैसे नेक कार्यों में पैसा लगाना चाहिए क्योंकि नेक कार्यों में लगाने से धन घटता नहीं बल्कि पहले से ज्यादा दोबारा बढ़कर लौट आता है। पुरातन काल में बड़े-बड़े राजा-महाराजा हुए थे जिन्होंने छल-कपट या अपने बल से अनेकों तरह से अकूत धन-दौलत कमाई, मगर साथ नहीं ले जा सके। सिकंदर इसकी सबसे बड़ी मिसाल है। स्वामी ने श्रद्धालुओं को नववर्ष पर जरूरतमंदों व असहायों की मदद करके नए साल को खुशामदीद कहने की बात की प्रेरणा दी। स्वामी ने कहा कि क्लबों, पार्टियों या बाहर घूम कर रुपये नाच-गाने व मनोरंजन में बर्बाद करने के बजाय नववर्ष पर किसी जरूरतमंद की सच्चे दिल से मदद करें।

शिव ही सत्य है व सुंदर

शिव महिमा सुनाते हुए स्वामी कमलानंद गिरि महाराज ने कहा कि शिव ही सत्य है, शिव ही सुंदर है। सब कुछ शिव ही है। सारा जगत शिव है। यह जगत शिव से उत्पन्न हुआ है और शिव में ही विलीन हो जाता है। जगत की उत्पत्ति शिव भगवान ही करते हैं। आखिर में सब कुछ खत्म हो जाता है मगर वहीं शेष रह जाते हैं। जिस प्रकार अंधकार में रस्सी सर्प के समान लगती है। उसी प्रकार यह जगत परमात्मा शिव का शुद्ध स्वरूप होने के बावजूद माया के प्रभाव के कारण स्वपनवत दिखाई देता है। माया की भ्रांति के कारण ही भगवान के दर्शन नहीं होते। सत्संग और संतों की शरण में जाने के बाद ही परमात्मा का बोध होता है।


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