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धरने में साहित्यकार और वकील भी शामिल

पंजाबी साहित्य सभा और जिला बार एसोसिएशन की तरफ से भी विद्यार्थियों का समर्थन में आए।

By JagranEdited By: Published: Sat, 10 Apr 2021 09:54 PM (IST)Updated: Sat, 10 Apr 2021 09:54 PM (IST)
धरने में साहित्यकार और वकील भी शामिल
धरने में साहित्यकार और वकील भी शामिल

संवाद सहयोगी, फरीदकोट

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पंजाबी साहित्य सभा और जिला बार एसोसिएशन की तरफ से भी यहां के बृजेंद्रा कालेज आगे बीएससी (कृषि) की पढ़ाई बचाने की मांग को ले कर धरने पर बैठे विद्यार्थियों का समर्थन किया है।

विद्यार्थियों के धरने में शामिल हुए साहित्यकार प्रो. पाल सिंह पाल ने कहा कि सरकार ने कुछ कमी बता कर अब फरीदकोट के सरकारी बृजेंद्रा कालेज में बीएससी (कृषि) की पढ़ाई के लिए दाखिले बंद करने का फैसला किया है, जो निदनीय है। उन्होंने कहा कि सरकार के फैसले को लेकर विद्यार्थी और उनके माता-पिता काफी मायूस हैं।

लेखक इकबाल घारू और प्रो. नवराही घुग्याणवीं ने कहा कि बृजेंद्रा कालेज में बीएससी (कृषि) की पढ़ाई काफी कम फीसों पर होती थी, जबकि निजी कालेजों में विद्यार्थियों को इस पढ़ाई के लिए मोटी फीस भरनी पड़तीं हैं। उन्होंने कहा कि सरकार को इस कालेज में (कृषि) की पढ़ाई जारी रखनी चाहिए और इसको बंद करने के सभी कारण तुरंत हटाने चाहिए, जिससे विद्यार्थी बिना दिक्कत अपनी पढ़ाई जारी रख सकें।

जिला बार एसोसिएशन के सचिव अमित कुमार गुप्ता, सीनियर मेंबर गुरताज संधू और अवतार किसन बवरेवाल ने कहा कि यदि कालेज को बचाने के लिए कानूनी हल की जरूरत पड़ी तो वह भी की जाएगी। उन्होंने कहा कि बार ऐसोसीएशन विद्यार्थियों के हितों की चौकीदारी के लिए हमेशा उन के साथ ले जाएगी। --------------------

जैतो अनाज मंडी में नहीं शुरू हुई गेहूं की खरीद

संवाद सूत्र, जैतो :

केंद्र सरकार के गेहूं खरीद की अदायगी सीधी किसान के खाते में करने के फैसले के खिलाफ पंजाब भर में आढतियों व मजदूरों द्वारा की जा रही हड़ताल का असर जैतो की अनाज मंडी में भी देखने को मिला । आढतियों व मजदूरों की हड़ताल के कारण जैतो अनाज मंडी में आज गेहूं की खरीद नही हुई जबकि मंडी बोर्ड द्वारा अनाज मंडी में खरीद शुरू होने के सभी पुख्ता प्रबंध कर रखे थे।

गांव दल सिंह वाला के किसान मुनशी सिंह तथा बलविन्दर सिंह जैतो ने बताया कि वह गेहूं की सरकारी खरीद शुरू होने से एक दिन पहले ही अपनी गेहूं लेकर मंडी पहुंच गए थे, लेकिन अभी तक सरकारी खरीद तो क्या मजदूरों ने गेहूं के ढेरों की सफाई तक नही की।


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