नोटिस के बाद दस्तावेज नष्ट करना संगीन अपराध
पंजाब हरियाणा हाई कोर्ट चंडीगढ़ की ओर से अवमानना केस में नोटिस के बाद भी सबूत नष्ट करना गलत है।
संवाद सूत्र, जैतो
पंजाब हरियाणा हाई कोर्ट चंडीगढ़ की ओर से अनुसूचित जाति जनजाति केस के मामले में फरीदकोट के तत्कालीन एसएसपी नानक सिंह व अन्य के खिलाफ चल रहे हाईकोर्ट की अवमानना केस में हाई कोर्ट का नोटिस होने के बावजूद संबंधित रिकार्ड को आग लगा कर नष्ट कर करना संगीन अपराध की श्रेणी में आता है। यह बात प्रदीप सिगला ने कही। उन्होंने बताया है कि उक्त मामले में तत्कालीन एसएसपी नानक सिंह द्वारा हाई कोर्ट में झूठे एवं फर्जी तथ्य के साथ झूठा कागजात दायर करने के संबंध में एक याचिका दायर कर रखी है। हाई कोर्ट द्वारा इसी केस में हुई पिछली सुनवाई में झूठा हलफनामा और झूठे तथ्य पेश करने पर नोटिस जारी कर चुकी है तथा हाई कोर्ट के नोटिस जारी होने के बावजूद पुलिस ने सबंधित रिकार्ड को नष्ट कर दिया और अब इस मामले में फरीदकोट के तत्कालीन एसएसपी नानक सिंह एवं अन्य के अलावा फरीदकोट के तत्कालीन एसएसपी राजबचन सिंह संधु को भी फिर से फर्जी दस्तावेज दायर करने पर नोटिस जारी कर 4 फरवरी तक जवाब मांगा है। याचिका में संबंधित आरोपी अधिकारियों पर पर्चा दर्ज करने की भी मांग की गई है।
यह मामला 2011 के निकाय चुनाव मामले में एससी एक्ट को लेकर है जिसमें लगभग छह साल बाद 19 नबंबर 2017 को प्रदीप सिगला पर अनुसूचित जाति एक्ट लगा कर मामला दर्ज किया गया। जबकि इसी मामले में 2013 में तत्कालीन जांच अधिकारी डीएसपी फरीदकोट ने एवं पंजाब राज्य अनुसूचित जाति कमीशन के चेयरमैन ने स्वयं हाईकोर्ट में पेश होकर बयान दिया था कि प्रदीप सिगला के खिलाफ इसी शिकायत को जाच करने के बाद समाप्त कर दिया गया है। 20 मार्च 2013 में हाईकोर्ट ने आदेश जारी कर यह केस ही समाप्त कर दिया था। उसी केस में पुलिस ने 2017 में मुकदमा दर्ज कर दिया था जिस कारण प्रदीप सिगला ने हाई कोर्ट के अवमानना का केस दाखिल किया हुआ है। प्रदीप सिगला ने बताया कि इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट के सभी न्यायधीश को रजिस्टर्ड पत्र भी भेज रखा है। इनसेट
नोटिस मिलने के बाद ही कुछ कह सकते हैं
फरीदकोट के तत्कालीन एसएसपी नानक सिंह ने बताया कि उन्हें अभी कोई नोटिस नहीं मिला है। नोटिस मिलने के उपरांत ही कुछ कहा जा सकता है। फरीदकोट के तत्कालीन एसएसपी राजबचन सिंह संधू ने बताया कि यह मामला उनके ध्यान में नहीं है तथा न ही उन्हें अभी कोई नोटिस नहीं मिला है। नोटिस मिलने के उपरांत ही वह कुछ कह सकेंगे।