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विदेश की चाह में युवाओं ने पकड़ी गलत राह, कनाडा के पीएम तक को इमिग्रेशन पालिसी पर देना पड़ा बयान

पंजाब में युवा अपने खेतों में काम नहीं करना चाह रहे हैं लेकिन विदेशी धरती पर घंटों बेरियां तोड़कर उसकी पैकिंग करने में भी अपनी शान समझते हैं। उनका मानना है कि लवप्रीत जैसे मामलों के पीछे के असली कारणों को तलाशना होगा।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Wed, 28 Jul 2021 11:46 AM (IST)Updated: Wed, 28 Jul 2021 01:24 PM (IST)
विदेश की चाह में युवाओं ने पकड़ी गलत राह, कनाडा के पीएम तक को इमिग्रेशन पालिसी पर देना पड़ा बयान
लवप्रीत खुदकुशी मामले में रोष मार्च निकालकर उसकी पत्नी बेअंत कौर को कनाडा से प्रत्यर्पण कराने की मांग करते लोग।

चंडीगढ़, इन्द्रप्रीत सिंह। पंजाब के बरनाला जिले के गांव कोठे गोबिंदपुरा के युवक लवप्रीत सिंह की खुदकुशी का मामला इन दिनों इतना सुर्खियों में है कि इसको लेकर कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो तक को अपनी इमिग्रेशन पालिसी पर बयान देना पड़ा। मृतक लवप्रीत की सगाई 2018 में खुड्डी कलां निवासी बेअंत कौर से हुई थी। बेअंत कौर कनाडा चली गई थी। ससुराल पक्ष ने उसको कनाडा भेजने पर करीब 25 लाख रुपये खर्च किए थे। एक वर्ष उपरांत बेअंत कौर के कनाडा से वापस आने पर उसका लवप्रीत सिंह से विवाह हो गया। विवाह कर बेअंत कौर पुन: कनाडा चली गई। लवप्रीत सिंह को कनाडा बुलाने को लेकर वह टालमटोल करने लगी, जिस कारण लवप्रीत मानसिक रूप से परेशान रहने लगा और आखिर 23 जून को अपने खेत में कीटनाशक दवा निगलकर खुदकुशी कर ली। अब विभिन्न सामाजिक संगठन बेअंत कौर को कनाडा से डिपोर्ट करवाने की मांग कर रहे हैं, जिसको भरपूर समर्थन मिल रहा है।

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यह कोई पहला मामला नहीं है। जिस मानसिक पीड़ा से लवप्रीत गुजर रहा था, डेढ़ दशक पहले पंजाब की लड़कियां इसी मानसिक यातना का शिकार हो रही थीं, क्योंकि एनआरआइ दूल्हे पंजाब में लड़कियों के साथ शादी करते, उनसे अच्छी-खासी रकम दहेज के रूप में लेते और फिर उन्हें विदेश बुलाने के लिए टालमटोल करते रहते। सालों-साल लड़कियां यहां उनका इंतजार करती रहतीं। 2005 के आसपास ऐसे मामलों की बाढ़ आई हुई थी। आज समस्या वही है। बस प्रताड़ित होने वाले बदल गए हैं। इंटरनेशनल इंगलिश लैंग्वेज टेस्टिंग सिस्टम यानी आइलेट्स करके विदेश जाने का ट्रेंड जबसे बढ़ा है तबसे लड़कियां इसका खूब फायदा उठा रही हैं। पंजाब के छोटे-छोटे शहरों तक में आइलेट्स सेंटर खुल गए हैं। जालंधर में ग्लोबल गुरु इमिग्रेशन सेंटर चलाने वाले रविंदर ग्रोवर बताते हैं कि आइलेट्स सेंटरों में पढ़ने वाले बच्चों में औसतन 65 फीसद लड़कियां हैं और 35 फीसद लड़के। इसमें दिलचस्प बात यह है कि जिन लड़कियों के अभिभावकों के पास ज्यादा पैसा नहीं है, पर वे पढ़ने में ठीक हैं तो वे आइलेट्स कर लेती हैं। फिर उनके अभिभावक उन परिवारों की तलाश करते हैं, जो उनकी बेटी से शादी कर ले और फिर पढ़ाई व विदेश भेजने का सारा खर्च खुद उठा ले। ऐसी लड़कियों के साथ वे लड़के भी हवाई जहाज पकड़ लेते हैं, जो आइलेट्स में अच्छा नहीं कर पाए होते हैं। इनमें से कुछ बेअंत कौर जैसी होती हैं, जो विदेशी जमीन पर पैर रखते ही अपने पति से सारे ताल्लुक तोड़ लेती हैं।

कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने इस मामले में अपनी इमिग्रेशन पालिसी में कोई सख्ती न बरतने की बात की है। उन्होंने कहा कि इस तरह के फ्राड तो लोगों के जागरूक होने पर ही रोके जा सकते हैं। जस्टिन ट्रूडो के इमिग्रेशन नियमों को सख्त न करने के पीछे कारण और हैं। पिछले कुछ वर्षो से एक और बड़ा बदलाव देखने में आया है। पहले पंजाब से ग्रेजुएट होकर नौकरी की तलाश में युवा विदेश जाते थे। लेकिन अब बारहवीं के बाद ही स्टडी वीजा पर जाने वालों की संख्या बढ़ रही है। यही कारण है कि पंजाब में डिग्री कालेजों में सीटें खाली रह जाती हैं। हालांकि पंजाब से विदेश जाने का ट्रेंड नया नहीं है। पिछली सदी के आठवें दशक में वे लोग विदेश जाते थे जिनके पास खेती योग्य जमीनें नहीं थीं या फिर बहुत कम थीं। राज्य के दोआबा क्षेत्र से इसी कारण लोगों में विदेश जाने का ट्रेंड बहुत रहा। उन्हीं दिनों पंजाब में जमीनों का कंसोलिडेशन हुआ। तय हुआ कि 16 एकड़ से ज्यादा जमीन किसी एक व्यक्ति के पास नहीं रह सकेगी। बड़े-बड़े जागीरदारों से जमीनें लेकर भूमिहीन लोगों में भी बांटी गईं। अब पांच दशक बाद जब यही परिवार अपनी तीसरी पीढ़ी में प्रवेश कर गए हैं तो 16 एकड़ जमीन वाले लोगों के पास मात्र तीन से चार एकड़ जमीनें ही बची हैं, जो किसी भी तरह एक परिवार को पालने के लिए काफी नहीं हैं।

लिहाजा नए मौकों की तलाश में हर परिवार अपने बच्चों को विदेश भेजना चाहता है, जरिया चाहे कोई भी हो। किसान परिवारों में जमीनें बेचकर अपने बच्चों को विदेश भेजने के चलन के कारण ही फ्राड हो रहे हैं। पिछले दिनों अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद के वाइस चेयरमैन एमपी पूनिया ने चंडीगढ़ में एक सेमिनार में कहा कि हमारी शिक्षा युवाओं को रोक नहीं पा रही है। रोजगार के अवसरों की कमी के चलते युवाओं का रुझान विदेश की ओर बढ़ रहा है। पंजाब यूनिवर्सटिी के समाज शास्त्र विभाग के पूर्व प्रमुख प्रो. मनजीत सिंह का कहना है कि विदेश में सभी कामों को एक जैसा ही देखा जाता है इसलिए युवाओं में स्टेटस कोई मैटर नहीं करता। पंजाब में युवा अपने खेतों में काम नहीं करना चाह रहे हैं, लेकिन विदेशी धरती पर घंटों बेरियां तोड़कर उसकी पैकिंग करने में भी अपनी शान समझते हैं। उनका मानना है कि लवप्रीत जैसे मामलों के पीछे के असली कारणों को तलाशना होगा। लेकिन दुख की बात है कि किसी भी राजनेता या पार्टी के एजेंडे में हमारी युवा पीढ़ी नहीं है।

[राज्य ब्यूरो प्रमुख, पंजाब] 


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