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अमेरिकन बनाम ब्रिटिश इंग्लिश के फेर में हाथ से फिसली नौकरी, स्‍पेलिंग का विवाद पहुंचा हाइकोर्ट

अंग्रेजी के एक शब्‍द की स्‍पेलिंग का विवाद पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट पहुंच गया है। अमेरिकन और ब्रिटिश अंग्रेजी में फर्क के कारण एक युवती नौकरी से वंचित रह गई।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Tue, 20 Nov 2018 12:08 PM (IST)Updated: Wed, 21 Nov 2018 12:32 PM (IST)
अमेरिकन बनाम ब्रिटिश इंग्लिश के फेर में हाथ से फिसली नौकरी, स्‍पेलिंग का विवाद पहुंचा हाइकोर्ट
अमेरिकन बनाम ब्रिटिश इंग्लिश के फेर में हाथ से फिसली नौकरी, स्‍पेलिंग का विवाद पहुंचा हाइकोर्ट

जेएनएन, चंडीगढ़। पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट में एक बेहद दिलचस्‍प मामला पहुंचा है। यह विवाद है अंग्रेजी के एक शब्‍द की स्‍पेलिंग का। एक शब्‍द की स्‍पेलिंग का यह विवाद पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट पहुंच गया है। दरअसल अमेरिकन और ब्रिटिश अंग्रेजी में स्‍पेलिंग के फर्क से एक युवती सरकारी नौकरी प्राप्‍त करने से वंचित रह गई। इसके बाद उसने हाई कोर्ट में याचिका दी।

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भारत में प्रचलित अमेरिकन व ब्रिटिश इंग्लिश के विवाद पर अब पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट फैसला करेगा। बठिंडा की रजनी नामक युवती ब्रिटिश व अमेरिकन इंग्लिश में स्पेलिंग के फर्क के चलते अधीनस्थ न्यायपालिका में स्टेनोग्राफर के पद पर नियुक्ति से वंचित हो गई। इसके बाद उसने हाई कोर्ट में याचिका दायर की और इंग्लिश लिखने के इन तरीकों का विवाद हाईकोर्ट पहुंच गया।

रजनी ने अपनी याचिका में कहा है कि उसने पंजाब में अधीनस्थ न्यायपालिका में स्टेनोग्राफर के पद के लिए आवेदन किया था। रजनी ने कहा है कि उसने इसके लिए टेस्‍ट दिया। टेस्ट में 'एनरोलमेंट' शब्द के स्पेलिंग को गलत करार देकर उसके दो अंक काट लिए गए। इस वजह से वह स्टेनोग्राफर ग्रेड 3 में नियुक्ति से वंचित हो गई।

याचिकाकर्ता रजनी ने कहा है कि ब्रिटिश इंग्लिश में एनरोलमेंट शब्द में एक 'एल' का प्रयोग किया जाता है, जबकि अमेरिकन इंग्लिश में दो 'एल' लिखा जाता है। रजनी ने कहा है कि ये दोनों ही स्पेलिंग ठीक हैं और इनका अर्थ एक ही है। उसने स्‍पेलिंग में एक 'एल' का प्रयोग किया था, लेकिन इसे गलत करार दिया गया और दो अंक काट लिए गए। इससे वह नियुक्ति से वंचित रह गई।

रजनी के वकील डॉ. राव पीएस गिरवर ने कहा कि याचिकाकर्ता ने दिव्यांग श्रेणी में आवेदन किया था और उसे टेस्‍ट में 34 अंक दिए गए। उसकी श्रेणी में 36 अंक हासिल करने वाले आवेदकों को नियुक्ति मिल गई। उन्होंने कहा कि उनके द्वारा लिखे गए सही स्पेलिंग को भी गलत माने जाने के चलते उनके दो नंबर काट लिए गए। ऐसे में वह नियुक्ति से वंचित कर दी गई। याचिका में कहा गया है कि इस गलती को ठीक कराकर उसके टेस्‍ट के अंक में दो अंक जुड़वाए जाएं और उसे नियुक्ति दी जाए। हाईकोर्ट में इस मामले पर अब 26 नवंबर को सुनवाई होगी।


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