मोहाली के यशस्वी बने लेफ्टिनेंट, बनेंगे भारतीय सेना की खास टैंक रेजीमेंट का हिस्सा
पंजाब के मोहाली के युवा यशस्वी भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट बने हैं। यशस्वी भारतीय सेना की खास टैंक रेजीमेंट में शामिल होंगे। इस रेजीमेंट ने 1965 की लड़ाई में पाकिस्तानी सेना के टैंक बर्बाद कर ख्याति अर्जित की थी।
चंडीगढ़, [डाॅ. सुमित सिंह श्योराण]। पंजाब के माेहाली के युवा यशस्वी शर्मा को देश की रक्षा का सपना साकार हो गया है और वह सेना की सेवा के लिए गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं। उनका परिवार भी इससे गौरव के अहसास से रोमांचित है। यशस्वी भारतीय सेना में लेफ्निेंट बने हैं और वह सेना की खास टैंक रेजीमेंट में शामिल होंगे। इस रेजीमेंट ने 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में पाकिस्तानी सेना के टैंकों को बर्बाद किया था।
मोहाली के सेक्टर-71 निवासी यशस्वी ने लेफ्टिनेंट बनने के बाद कहा, देश की सेना का हिस्सा बनना हर युवा का सपना होता है, मेरा भी बचपन से ही आर्मी ऑफिसर बनना लक्ष्य था। आज का दिन मेरे लिए बहुत खास है। पेरेंट्स ने पूरे सफर में मेरा साथ दिया तो यह मुमकिन हो पाया। 23 साल के यशस्वी ने शनिवार को देश की प्रतिष्ठित भारतीय थल सेवा में कमीशन हासिल किया है।
1965 लड़ाई में पाकिस्तान के टैंक बर्बाद करने वाली रेजिमेंट का बनेंगे हिस्सा
यशस्वी ने देहरादून स्थित भारतीय सैन्य अकादमी(आइएमए) पासिंग आउट परेड को सफलता पूर्वक पास करते हुए कंधों पर लेफ्टिनेंट के स्टार हासिल कर किया तो उनका चेहरा गौरव से चमक उठा। बेटे की इस खास उपलब्धि के गवाह बनने के लिए यशस्वी के पेरेंट्स भी मोहाली से देहरादून पहुंचे। जागरण से विशेष बातचीत में यशस्वी ने बताया कि दसवीं क्लास में ही उन्होंने सेना में जाने का फैसला कर लिया था।
देहरादून में पासिंग आउट परेड के बाद माता-पिता के साथ यशस्वी शर्मा।
यशस्वी ने बताया, इकलौती संतान होने के बावजूद माता-पिता ने मेरी इच्छा का सम्मान किया और सेना की सेवा में जाने की इजाजत दे दी। उन्होंने मुझे तैयारी के लिए मोहाली स्थित महाराजा रणजीत सिंह आर्म्ड फोर्सेस प्रिपरेटरी इंस्टीट्यूट भेजा। लेफ्टिनेंट यशस्वी ने कहा कि इंस्टीट्यूट में दाखिले का उन्हें काफी फायदा हुआ और उन्होंने आर्मी ऑफिसर बनने की बेसिक ट्रेनिंग वहां पर ही मिली।
पहले ही चांस में बने लेफ्टिनेंट
लेफ्टिनेंट यशस्वी स्कूल लेवल से ही आलराउंडर रहे हैं। पढ़ाई के साथ स्टेट लेवल स्पोर्ट्स में भी कई उपलब्धियां हासिल कीं। उन्होंने स्कूली पढ़ाई चंडीगढ़ के सेक्टर-32 स्थित साॅपिंस स्कूल और मोहाली के शेमराॅक स्कूल से हासिल की है। यशस्वी ने दसवीं में 9.6 सीजीपीए और बारहवीं में 80 फीसद अंक हासिल किए। उनके पिता संजीव शर्मा इलेक्ट्रोनिक इंजीनियर हैं और मां पूनम शर्मा एक निजी कंपनी में कार्यरत हैं।
देहरादून में पासिंग आउट परेड के बाद माता-पिता के साथ यशस्वी।
पूनम ने कहा कि उन्हें अपने बेटे की उपलब्धि पर नाज है। यशस्वी में शुरू से ही सेना में जाने और देश के लिए कुछ करने का जुनून था जो अब पूरा होगा। यशस्वी को स्क्वैश खेलने और किताबें पढ़ने का शौक है। वह पेरेंट्स को अपना रोल माॅडल मानते हैं। वह स्टेट लेवल पर चैस में चैंपियन भी रहे हैं।
मशहूर टैंक रेजिमेंट का हिस्सा बने लेफ्टिनेंट यशस्वी
लेफ्टिनेंट यशस्वी का चयन एनडीए एग्जाम के तहत हुआ और फिर एक साल तक उन्होंने आइएमए में कड़ी ट्रैनिगं हासिल की है। मेजर जनरल (रिटायर्ड) जीएस ग्रेवाल ने कहा कि उन्हें खुशी है कि उनके स्टूडेंट यशस्वी ने यह मुकाम हासिल किया है। ग्रेवाल ने कहा कि लेफ्टिनेंट चुने जाने के साथ ही दूसरी गर्व की बात है कि यशस्वी को सेना में बहुत ही मशहूर थर्ड क्वाॅलरी रेजिमेंट में शामिल किया है। इस टैंक रेजिमेंट ने 1965 में पाकिस्तान से युद्ध में दुश्मनों के बहुत से टैंक खेमकरण में तबाह कर दिए थे।
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'' यशस्वी इंस्टीट्यूट में शुरू से ही अपने लक्ष्य पर फोकस था। उसने कड़ी मेहनत से आज इस मुकाम को हासिल किया है। उसे 1965 की पाकिस्तान के साथ लड़ाई में मशहूर टैंक रेजीमेंट में पोस्टिंग मिली है। इंस्टीट्यूट को अपने कैडेट पर गर्व है। पूरे परिवार और यशस्वी को लेफ्टिनेंट बनने पर ढेरों बधाई।
- मेजर जनरल (रिटायर्ड) जीएस ग्रेवाल, डायरेक्टर महाराजा रणजीत सिंह आर्म्ड फोर्सेस प्रिपरेटरी इंस्टीट्यूट।
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