Move to Jagran APP

Farmers Protest: पंजाब के प्रगतिशील किसान की दो टूक- धरनों की बजाए नए आइडिया पर काम करें, सुधरेंगे हालात

Punjab Kisan Andolan पंजाब के एक प्रगतिशील किसान ने कृषि कानूनों के विरोध में आंदोलन कर रहे किसानों को बड़ी सीख दी है। मोहाली के किसान गुरप्रकाश ने दाेटूक कहा कि यदि किसान धरना देने की जगह नए आइडिया पर काम करते तो उनके हालत सुधर जाते।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Thu, 10 Dec 2020 09:46 AM (IST)Updated: Fri, 11 Dec 2020 01:06 PM (IST)
Farmers Protest: पंजाब के प्रगतिशील किसान की दो टूक- धरनों की बजाए नए आइडिया पर काम करें, सुधरेंगे हालात
Kisan Andolan: आंदोलन के दौरान किसान। (फाइल फोटो)

इन्द्रप्रीत सिंह, झंझेड़ी (मोहाली)। आए दिन सरकारी नीतियों को लेकर किसान धरने देने की बजाए नए-नए आइडियापर काम करते तो आज उनकी यह स्थिति न होती। यह कहना है पंजाब के मोहाली जिले के झंझेड़ी के प्रगतिशील किसान गुरप्रकाश का। वह कहते हैं, किसान बेवजह आंदोलन करने के बजाय खेती के नए तरीके अपनाएं और कृषि कानूनों का लाभ उठाएं।

loksabha election banner

अपने खेत में गुड़ बनाने के लिए गन्ने को साफ करवाते हुए गुरप्रकाश ने नए कृषि कानूनों पर खुलकर अपनी राय रखी। उन्होंने कहा, हमें ये भी सोचना चाहिए कि सरकार नए कानून क्यों लेकर आई है। मैंने पता किया तो पता चला कि गोदाम अनाज से पटे हुए हैं और हर साल तीन से चार सौ लाख टन अनाज और आ जाता है आखिर इतने अनाज का करना क्या है।

यह भी पढ़ें: Punjab Education: महंगी फीस के कारण मेडिकल शिक्षा से दूरी, विद्यार्थी कर रहे एमबीबीएस सीटें सरेंडर

वह कहत हैं, हालत यह हैं कि हम 70 हजार करोड़ की दालें बाहर से मंगवाते हैं और 75 हजार करोड़ का लोगों को बीमार करने वाला पॉम ऑयल बाहर से मंगवाते हैँ । क्या ये चीजें हम खुद नहीं उगा सकते। अगर धरने ही देने हैं तो सरकार को इन चीजों पर सहायता देने के लिए धरने दो ताकि हम खुद भी आत्म निर्भर बन सकें और देश को भी बनाएं।

गुरप्रकाश मोहाली फतेहगढ़ साहिब रोड पर अपने नौ एकड़ में आर्गेनिक खेती करते हैं। यह काम उन्होंने पांच साल पहले ही शुरू किया। इसमें सबसे बड़ी दिक्कत मार्केटिंग की आई, लेकिन उन्होंने इस पर सरकार से न्यूनतम समर्थन मूल्य मांगने की बजाए अपने तौर पर मित्रों के साथ मिलकर बाजार बनाया। वह कहते हैं, सुखना लेक के पास रोड साइड पर बनाए इस बाजार में मात्र 6 -7 लोगों ने ही यह काम शुरू किया। आज यहां 20 के करीब किसान आ रहे हैं और हमारे पास एक हजार के लगभग ग्राहकों के व्हाट्सअप ग्रुप में नंबर हैं। हर हफ्ते हमारी आमदनी अब 12 हजार तक पहुंच चुकी है जो कभी मात्र 500 रुपये थी।

गुरप्रकाश बताते हैं कि सबसे पहले किसानों को अपने घर की, अपने गांव की जरूरतों को पूरा करने के लिए हर चीज उगाएं। सरसों, मूंगफली का तेल हम अपना पैदा क्यों नहीं कर सकते। गुड़ बनाकर मीठे की जरूरत पूरी क्यों नहीं की जा सकती और क्यों इसके लिए बाजार पर निर्भर हैं। कानून चाहे नए हों या पुराने, इसको देखने की जरूरत केवल तब है अगर हमने अपने आप को बाजार या सरकार पर निर्भर कर लिया है।

उन्होंने बताया कि हमारा मुलठी वाला गुड़ 120 रुपये किलो में लोग खुशी-खुशी ले रहे हैं। उन्हें पता है कि यह आर्गेनिक तरीके से उगाया हुआ है। गुरप्रकाश इन दिनों गुड़ की टॉफी बनाने की कोशिश में लगे हैं। इसमें वह आयुर्वेद के माहिरों से सहायता ले रहे हैं कि इसमें वे क्या-क्या कितना शामिल कर सकते हैं ताकि बच्चों के लिए यह स्वास्थ्यवर्द्धक हो।

यह भी पढ़ें: Agriculture Laws: कृषि कानूनों पर शऱद पवार के बाद हरियाणा के पूर्व सीएम हुड्डा कठघरे में

वह कहते हैं, क्या आम किसान आज क्वालिटी पर काम कर रहे हैं। उन्‍होंने तो ज्यादा से ज्यादा पैदावार के चक्कर में अपनी जमीन का सत्यानाश कर लिया है। उन्‍होंने कीटनाशक दवाओं का उपयोग करके अपने और दूसरों के शरीर को बीमारियों के हवाले कर दिया है। वह सवाल करते हैं, क्‍या किसानों को इस ओर सोचने की जरूरत नहीं है।

वह कहते हैं, आप हमारी आर्गेनिक मार्केट में आकर देखिए प्रगतिशील किसानों ने क्या-क्या आइटम अपनी चीजों को प्रोसेस करके तैयार की हैं। लेकिन, आम किसान तो सिर्फ गेहूं व धान के ढेर लगाकर ही खुश हैं। क्या उन्होंने कभी इन्हें ही प्रोसेस करके अपने उत्पाद में वेल्यू एडिशन की है।

यह भी पढ़ें: Farmers Protest: पंजाब के किसान चाहते थे आढ़ती सिस्टम का खात्‍मा, अब कृषि कानूनों के विरोध में

पंजाब की ताजा खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें


हरियाणा की ताजा खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.